पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पनामागेट मामले में बयान दर्ज कराने के लिए वह प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को समन जारी कर सकता है। जमात-ए-इस्लामी के वकील तौफीक आसिफ की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस आसिफ सईद खोसा ने यह टिप्पणी की। जस्टिस खोसा के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ भ्रष्टाचार को लेकर नवाज शरीफ के परिवार के खिलाफ कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
आसिफ ने लंदन के पड़ोसी इलाके में एक लग्जरी अपार्टमेंट के मालिकाना हक के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय से प्रधानमंत्री को समन करने व उनका बयान दर्ज करने की अपील की ।
जियो टेलीविजन की एक रपट के मुताबिक, न्यायमूर्ति खोसला ने आसिफ से कहा कि कोर्ट पहले प्रधानमंत्री शरीफ के बच्चों के वकीलों की सुनवाई करेगा और अगर जरूरत पड़ी, तो प्रधानमंत्री को भी समन भेजा जा सकता है। न्यायाधीश ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि इस तरह का कदम वकीलों के तर्क को सुनने के बाद ही उठाया जाएगा।
इस बीच, जस्टिस गुलजार अहमद ने कहा कि खेवड़ा खनन मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा की थी कि वह संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत बयान दर्ज कर सकता है।
इसके बाद आसिफ ने कहा कि विभिन्न मामलों में शरीफ अदालत में कई बार पेश हो चुके हैं, इसलिए अदालत को इस मामले में भी उन्हें समन जारी करना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया, 'शरीफ के परिवार ने लंदन के फ्लैट के मालिकाना हक को लेकर धन के लेनदेन का जो आंकड़ा दिया है, उसपर हर किसी को संदेह है।'
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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड की वित्तीय जांच एजेंसी तथा मोसाक फोंसेका के बीच किसी तरह के पत्र व्यवहार को खारिज किया। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के परिवार का नाम लीक पनामा पेपर्स में हैं।
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Source : IANS