इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को सरकार के नए अभियोजन टीम की बहस सुनने के बाद कहा कि वह पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले में फैसला 17 दिसंबर को सुनाएगी. समाचारपत्र डॉन की खबरों के मुताबिक, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने 27 नवंबर को विशेष अदालत को फैसला सुनाने से रोक दिया था, जिसपर उसने फैसला पहले सुरक्षित रख लिया था.
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24 अक्टूबर को, विशेष अदालत को बताया गया कि सरकार ने पूर्ववर्ती पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार से जुड़े पूरे अभियोजन टीम को हटा दिया है. पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ देशद्रोह का मामला दिसंबर 2013 से लंबित है. उनके खिलाफ यह मामला 3 नवंबर 2007 को देश में आपातकाल लगाने के लिए चल रहा है. उनपर दिसंबर 2013 में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
मुशर्रफ को 31 मार्च, 2014 में दोषी पाया गया और उसी वर्ष सितंबर में अभियोजन ने विशेष अदालत के समक्ष पूरा सबूत पेश किया. हालांकि अपीलीय मंचों पर मुकदमा चलने की वजह से, मामला टलता गया और मुशर्रफ ने मार्च, 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया.
बता दें कि दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) की सेहत थोड़ी संभली और उन्होंने तुरंत भारत को आंख दिखानी शुरू कर दी. कारगिल में पाकिस्तान की करारी हार के बावजूद उन्होंने उलटे भारत को ही चेतावनी दी है कि वह 'कागरिल को न भूले और जंग के मैदान में पाकिस्तान, भारत को सबक सिखा देगा.'
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पाकिस्तान में राजद्रोह के मुकदमे का सामना कर रहे पूर्व सैन्य शासक बीमारी के नाम पर पाकिस्तानी अदालत में पेशी से बचते रहे हैं और दुबई में रहते हैं. हाल में उनकी तबियत में थोड़ा सुधार हुआ जिसके बाद उनकी पार्टी आल पाकिस्तान मुस्लिम लीग की तरफ से कहा गया कि सेवानिवृत्त जनरल फिर से राजनीति में लौटने जा रहे हैं.
राजनीति में लौटने की इस कवायद के तहत मुशर्रफ ने वीडियो लिंक के जरिए पाकिस्तान में अपनी पार्टी के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया और तुरंत सुर्खियां बटोरने के लिए भारत पर हमलावर हो गए. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत की तरफ से लगातार पाकिस्तान को धमकियां दी जा रही हैं जबकि पाकिस्तान लगातार शांति की पहल करता रहा है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो