फाइजर कंपनी ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिकी नियामकों से अपनी कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने के अनुरोध के साथ आगे बढ़ रही है. अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर ने हाल ही में दावा किया है कि जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर विकसित की गई उनकी कोरोनावायरस वैक्सीन फाइनल क्लीनिकल ट्रायल में 95 फीसदी असरदार पाई गई है. फाइजर ने यह दावा भी किया कि उसकी कोरोना वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर भी पूरी तरह खरी उतरी है.
फाइजर का एक्शन दिसंबर के अंत तक सबसे कमजोर अमेरिकियों को वैक्सीन देने की दिशा में पहला कदम हो सकता है. फाइजर और एक अन्य अमेरिकी कंपनी, मॉडर्ना, ने पिछले नौ महीनों से कोरोना के स्थायी इलाज के लिए वैक्सीन बनाने की चल रही दौड़ में गति के मामले में सभी वैक्सीन निमार्ताओं के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अमेरिकी नियामक से अनुमोदन प्रक्रिया के साथ ही देश के सभी 50 राज्यों में कोरोना के मामले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहे हैं. फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बोउर्ला ने एक बयान में सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है.
फाइजर और बायोएनटेक ने 2020 में कुल पांच करोड़ वैक्सीन खुराक और 2021 तक 1.3 अरब खुराक का उत्पादन करने की उम्मीद जताई है. अमेरिकी नियामकों को उम्मीद है कि दिसंबर के अंत में वितरण के लिए मॉडर्ना और फाइजर प्रत्येक से दो करोड़ वैक्सीन की खुराक उपलब्ध हो जाएगी.
Moderna की वैक्सीन भी MRNA तकनीकि पर आधारित है जिस पर फाइजर की वैक्सीन कंपनी ने दावा किया है कि आखिरी चरण के शुरुआती डेटा में उसकी वैक्सीन 94.5% असरदार पाई गई है. युवाओं के साथ-साथ ज्यादा उम्र के लोगों में Moderna की वैक्सीन ने ऐंटीबॉडी पैदा की जिसने वायरस को खत्म किया है. जल्द ही ऐसे समूहों पर इमर्जेंसी में इस्तेमाल करने की इजाजत के लिए आवेदन किया जाएगा जिन्हें इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा होगा. माना जा रहा है कि अमेरिका के लिए साल के अंत तक 2 करोड़ खुराकें तैयार हो जाएंगी.
Source : News Nation Bureau