मोदी सरकार की सख्ती देख चीन ने फिर अलापा 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का राग

विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 'सीमा विवाद ऐसी चीज है जो इतिहास से छूट गई, लेकिन ये भारत और चीनी रिश्तों की पूरी कहानी नहीं है.'

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Nihar Saxena
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चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने दिया शांति-समृद्धि का प्रस्ताव.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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कमांडर स्तर की वार्ता के बाद भारत (India) की चेतावनी के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी की ओर से एक बड़ा बयान आया है. वांग यी ने कहा है कि सीमा विवाद (Border Dispute) का हल निकालने और दि्वपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत-चीन को एक-दूसरे के प्रति शक के भाव को खत्म करना होगा. इसके साथ ही चीन (China) ने रविवार को भारत के साथ शांति, साझेदारी और समृद्धि की बात करते हुए जोर दिया कि वह नई दिल्ली के साथ सीमा विवाद को बातचीत और परामर्श के माध्यम से निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है. पिछले महीने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास दोनों देशों की सेनाओं के हटने के बाद नई दिल्ली ने एक सप्ताह पहले बीजिंग को चेतावनी दी थी कि शेष सीमा मुद्दों को लंबा खिंचना दोनों पक्षों के हित में नहीं है.

एक-दूसरे के प्रति शक को कम करें दोनों देश
भारत-चीन रिश्तों पर अपनी वार्षिक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सवालों का उत्तर देते हुए और एक साल पुराने लद्दाख मसले को सुलझाने के बारे में बताते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि दोनों देशों द्वारा विवादों को सुलझा लिया जाना और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना बेहद महत्वपूर्ण है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 'सीमा विवाद ऐसी चीज है जो इतिहास से छूट गई, लेकिन ये भारत और चीनी रिश्तों की पूरी कहानी नहीं है.' यही नहीं वांग यी ने यह भी कहा, 'चीन और भारत दोनों को एक दूसरे को गिराना बंद कर देना चाहिए. दूसरे के प्रति शक के भाव को कम करते हुए द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच के सीमा विवादों का हल निकाला जा सके.'

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टकराव से समस्या का हल नहीं
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को अपनी वार्षिक प्रेस बैठक में कहा कि पिछले साल सीमा क्षेत्र में जो कुछ भी हुआ, उसका सही और गलत अर्थ स्पष्ट है. उन्होंने कहा, 'यह फिर से साबित करता है कि टकराव शुरू करने से समस्या हल नहीं होगी. शांतिपूर्ण बातचीत पर लौटना ही सही रास्ता है.' उन्होंने कहा कि चीन की स्थिति बहुत स्पष्ट है. उन्होंने कहा, 'हम बातचीत और परामर्श के जरिए सीमा विवाद को निपटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.' 

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शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने की स्थिति में
गौरतलब है कि पैंगोंग सो क्षेत्र में एलएसी के पास विवाद के बाद, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र, देमचोक और देपसांग मैदानों में अन्य विवादों पर कोई प्रगति नहीं हुई है. हालांकि, रविवार को वांग ने कहा कि यह दोनों पक्षों पर है कि मौजूदा सहमति को मजबूत किया जाए, संवाद और संचार को मजबूत किया जाए और सीमा क्षेत्रों में शांति लिए विभिन्न प्रबंधन तंत्र में सुधार किया जाए. उन्होंने कहा, 'आगे आने वाले वर्ष में बीजिंग उम्मीद करता है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण आम समझ विकसित होगी और दोनों देश यह समझेंगे कि चीन और भारत एक दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि एक दूसरे के लिए विकास के अवसर हैं.' चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन और भारत के लोगों के लिए अधिक से अधिक लाभ पहुंचा सकते हैं.

HIGHLIGHTS

  • चीनी विदेश मंत्री ने नए सिरे से अलापा हिंदी-चीनी भाई-भाई का राग
  • एक हफ्ते पहले ही भारत ने सीमा विवाद पर दी थी चेतावनी
  • परस्पर टकराव को समस्या का हल नहीं मानने की वकालत की
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