SCO समिट में चीनी विदेश मंत्री से मिले जयशंकर, लद्दाख में शांति बहाली पर जोर

तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ बैठक से इतर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मुलाकात हुई

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Mohit Sharma
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SCO summit( Photo Credit : ANI)

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तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ बैठक ( SCO Summit ) से इतर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ( External Affairs Minister Dr S Jaishankar ) और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच मुलाकात हुई. एस जयशंकर ने शुक्रवार को इस बात को रेखांकित किया कि भारत और चीन के बीच शेष मुद्दों के समाधान में प्रगति सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) पर शांति बहाल हो सके. इसके लिए उन्होंने दो टूक कहा कि पूर्वी लद्दाख में विवाद का केंद्र बने इलाकों से सैनिकों की वापसी शांति बहाली समेत द्विपक्षीय संबंधों की प्रगाढ़ता के लिए जरूरी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया द्विपक्षीय संबंधों के विकास का आधार भी है. 

गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने ( PM Modi addresses SCO Summit ) शुक्रवार को एससीओ की बैठक को संबोधित किया था. इससे इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग यी ने दुशांबे में वैश्विक घटनाक्रम पर विचारों का आपस में विचारों का आदान-प्रदान किया. माना जा रहा है कि इस मुलाकात में अफगानिस्तान के हालातों पर भी चर्चा हुई है.अपने छह मिनट के वर्चुअल संबोधन में, मोदी ने कहा, "अगर हम इतिहास में पीछे मुड़कर देखें, तो हम पाएंगे कि मध्य एशिया उदारवादी, प्रगतिशील संस्कृतियों और मूल्यों का केंद्र रहा है। सूफीवाद जैसी संस्कृतियां यहां पैदा हुईं और पूरी दुनिया में फैल गईं. इसे अब भी इसकी सांस्कृतिक विरासत में देखा जा सकता है."

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उन्होंने कहा कि एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदार, सहिष्णु और समावेशी संस्थानों और परंपराओं के बीच मजबूत नेटवक विकसित करने के लिए काम करना चाहिए, जो पहले से ही भारत और सदस्य देशों में प्रचलित है. प्रधानमंत्री ने मध्य एशियाई देशों से भारत के विशाल बाजारों से जुड़ने और लाभ हासिल करने को भी कहा. भारत इन देशों के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और हम मानते हैं कि भूमि से घिरे मध्य एशियाई देश भारत के विशाल बाजार से जुड़कर अत्यधिक लाभ उठा सकते हैं. कनेक्टिविटी के मुद्दों पर चीन का परोक्ष संदर्भ में उन्होंने कहा कि कोई भी कनेक्टिविटी पहल एकतरफा पहल नहीं हो सकती है.

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मोदी ने चाबहार और नॉर्थ साउथ इंटरनेशनल कॉरिडोर के लिए भी कहा, यह सुनिश्चित, परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण होना चाहिए. सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए. ब्लॉक में नए शामिल होने का स्वागत करते हुए, उन्होंने कहा कि ईरान को एससीओ सदस्य के रूप में शामिल किया गया है जबकि सऊदी अरब, मिस्र और कतर को संवाद भागीदारों के रूप में शामिल किया गया है, उनकी भागीदारी से ब्लॉक को और मजबूती मिलेगी.

Source : News Nation Bureau

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