सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने वाली बातचीत में भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार पर चर्चा होने की उम्मीद है लेकिन इस दौरान दोनों देशों के बीच किसी करार पर हस्ताक्षर होने की संभावना न के बराबर है।
उम्मीद की जा रही थी आंध्र प्रदेश में छह परमाणु रिएक्टर के निर्माण के लिए भारतीय कंपनी एनपीसीआईएल और वेस्टिंगहाउस के बीच करार पर दस्तखत हो सकता है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच 2008 में हुए परमाणु समझौते पर बातचीत होगी।
तत्कालीन राष्ट्रपति बुश और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच असैन्य परमाणु करार हुआ था।
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सूत्रों के मुताबिक वेस्टिंगहाउस फिलहाल वित्तीय दिक्ततों का सामना कर रहा है और किसी मौजूदा संयंत्र को ऑपरेट नहीं करने की वजह से न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) अमेरिकी कंपनी के साथ करार करने से हाथ पीछे खींच रहा है।
हालांकि 2015 में प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि जून 2017 तक दोनों देशों के बीच मौजूद कॉन्ट्रैक्ट को लेकर जारी गतिरोध को सुलझा लिया जाएगा। हालांकि इस दौरान दोनों देशों की बीच कोई समाधान नहीं निकला।
2007 में जापानी कंपनी तोशिबा ने वेस्टिंगहाउस को खरीद लिया वहीं भारत का परमाणु ऊर्जा विभाग और एनपीसीआईएल कंपनी की वित्तीय सेहत सुधरने तक किसी करार के मूड में नहीं है। वेस्टिंगहाउस ने मार्च में दीवालिया होने की अर्जी दी थी।
सरकार के एक बड़े अधिकारी ने बताया, 'प्रधानमंत्री के अमेरिकी यात्रा के दौरान वेस्टिंगहाउस के साथ करार किए जाने की संभावना न के बराबर है।
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HIGHLIGHTS
- मोदी-ट्रंप की मुलाकात में सिविल न्यूक्लियर डील पर चर्चा होने की संभावना है
- हालांकि इस मुलाकात के दौरान दोनों देशोें की बीच कोई करार पर हस्ताक्षर होने की संभावना नहीं है
Source : News Nation Bureau