जर्मनी के एक मंत्री ने कहा कि पोलैंड ने सभी यूरोपीय संघ (ईयू) देशों, नाटो के सदस्य और यूरोप की परिषद को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए नुकसान के लिए मुआवजे के दावे के संबंध में एक राजनयिक नोट भेजा है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 1 सितंबर को पोलैंड सरकार ने युद्ध के दौरान देश को हुए नुकसान का विवरण देते हुए एक व्यापक रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में पोलैंड, जर्मनी से 1.3 ट्रिलियन यूरो के वित्तीय मुआवजे की मांग कर रहा है.
इसके बाद, पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने युद्ध से हुए नुकसान के लिए मुआवजे का अनुरोध करते हुए जर्मनी को एक राजनयिक नोट भेजा. हालांकि, जर्मनी का कहना है कि पोलैंड के क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर विचार करना फिलहाल संभव नहीं है.
रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले पोलैंड उप विदेश मंत्री अर्कादियस मुलास्र्की ने बुधवार को मीडिया को बताया कि राजनयिकों, राजनेताओं, मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय वकीलों में शामिल लोगों को सूचित करने के लिए राजनयिक नोट भेजा गया है कि यह मुद्दा अनसुलझा है, यह यूरोपीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून, मानवाधिकारों से संबंधित है.
मुलार्कजिक ने कहा कि दस्तावेज से पता चलता है कि जर्मनी ने युद्ध के कारण पोलैंड को हुए नुकसान का निपटान नहीं किया था, इसने लूटी गई कलाकृतियों या बैंक संपत्तियों को वापस नहीं किया और न ही पोलैंड के नागरिकों को जर्मनी की आक्रामकता के चलते हुए नुकसान के लिए मुआवजा दिया था.
उन्होंने कहा कि उनका देश इस मामले पर एक अंतरराष्ट्रीय चर्चा शुरू करना चाहता है, यह कहते हुए कि बर्लिन ने पोलैंड के साथ अपना खाता नहीं सुलझाया है, और अभी तक वारसॉ द्वारा भेजे गए राजनयिक नोट का जवाब नहीं दिया है.
लगभग 3 मिलियन पोलिश यहूदियों सहित पोलैंड के लगभग 6 मिलियन नागरिक युद्ध के दौरान मारे गए थे और 1944 के विद्रोह के बाद वारसॉ को ध्वस्त कर दिया गया था, जिसमें लगभग 200,000 नागरिक मारे गए.
जर्मनी के 1 सितंबर, 1939 को पोलैंड पर आक्रमण को द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत के रूप में माना जाता है.
लगभग दो सप्ताह बाद पूर्व से सोवियत संघ द्वारा भी पोलैंड पर आक्रमण किया गया था.
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Source : IANS