अमेरिका यूक्रेन को सैन्य संसाधन के साथ-साथ आर्थिक मदद कर रहै. रूस से युद्ध के कारण यूक्रेन की अमेरिका हर स्तर पर मदद कर रहा है. सैन्य सहायता के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को 40 अरब डालर (करीब तीन लाख करोड़ रुपये) की मदद देने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने सोमवार को इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए. सैन्य सहायता के तहत अमेरिका यूक्रेन को खुफिया जानकारियां भी दे रहा है. अमेरिकी मदद के कारण ही यूक्रेन रूस के कई सैन्य अधिकारियों को मारने के अलावा उसका युद्धपोत डुबोने में कामयाब रहा. इतना ही नहीं, बाइडन ने यूक्रेन का मनोबल बढ़ाने के लिए अपनी पत्नी जिल बाइडन को भेजा.
सेंटर फार यूरोपियन पालिसी अनालिसिस की अध्यक्ष एलिना पोलीआकोवा ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन को सैन्य मदद के साथ-साथ आर्थिक सहायता इसलिए दे रहा है ताकि वह अपनी रक्षा कर सके. यूक्रेन को दी जाने वाली इस आर्थिक मदद को अमेरिका की रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने अपनी स्वीकृति दी है.
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अमेरिका, यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका की कर्ज देने वाली इसी नीति के कारण द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी को हराने में मदद मिली थी. अमेरिका के इस कदम को सोमवार को मास्को में विजय परेड के दौरान रूस द्वारा किए गए शक्ति प्रदर्शन के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस ने कहा कि रूसी सेना यूक्रेन में युद्ध अपराध और अत्याचार कर रही है. आम लोगों को संकट और अनावश्यक विनाश का सामना करना पड़ रहा है.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, फिनलैंड और स्वीडन इस हफ्ते यह निर्णय कर सकते हैं कि पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो में शामिल होना है या नहीं. यूक्रेन पर रूस के हमले से इन दोनों देशों का यह पुराना विश्वास टूट गया है कि ताकतवर पड़ोसी से टकराव टालने का सबसे अच्छा तरीका किसी भी सैन्य संगठन से बाहर रहना है.