कोरोना कहर के बीच मंगलवार यानी 3 नवंबर को अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव है. डेमोक्रेट के उम्मीदवार जो बिडेन और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप आमने-सामने हैं. जो बिडेन जहां कोरोना से निपटने में ट्रंप की नीतियों को नाकाम बता रहा है, तो वहीं डोनाल्ड ट्रंप चीनी वायरस के बहाने विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं. ट्रंप इस बार भी सर्वे में पीछे चल रहे हैं, लेकिन जीत का दावा कर रहे हैं. बिडेन ने ट्रंप के अनछुए मुद्दों को जोर-शोर से उठाने के साथ-साथ वोट बैंक में भी सेंध लगाई है.
अबकी बार ट्रंप सरकार : मोदी
कोरोना काल में चुनाव कराना मुश्किलों से भरा है. विश्वभर में कोरोना का प्रकोप सबसे ज्यादा अमेरिका में है. लोगों को पूरी सावधानी से वोट करना होगा. इस चुनाव में पहली बार भारतीय मूल के वोटर बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में हाउडी मोदी कार्यक्रम के दौरान अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा लगाया था. ट्रंप भी गाहे बगाहे भारत के प्रति अपना प्रेम जाहिर करते आए हैं.
अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया भारत से अलग
अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया भारत से अलग है. यहां राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. अमेरिकी नागरिक उन लोगों को चुनते हैं जो राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. अमेरिका में कुल 50 राज्य हैं, 50 राज्यों से कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं. इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहते हैं. इलेक्टोरल कॉलेज में दो हाउस हैं. एक सीनेट और दूसरा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव.
2016 में हिलेरी को मिली थी हार
वहीं 2016 के नतीजे की बात करें तो डोनाल्ड ट्रंप को 538 में से 306 इलेक्टोरल वोट मिले थे, जबकि हिलेरी क्लिंटन को 232 वोट मिले थे. स्विंग स्टेट्स में ज्यादा वोट मिलने के चलते ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत गए थे. एग्जिट पोल में हिलेरी क्लिंटन को जीत के तौर पर दिखाया था, लेकिन वोटों की गिनती के बाद बाजी पलट गई. डोनाल्ड ट्रंप को जीत और हिलेरी को हार का सामना करना पड़ा.
Source : News Nation Bureau