ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल से पूर्व न्यायाधीशों और राजनेताओं ने एक 11 वर्षीय सूडानी लड़की को शरण देने का आग्रह किया है, जिसे यदि उसके देश भेजा गया तो खतना का जोखिम उठाना पड़ेगा. राजनेताओं, न्यायाधीशों और कार्यकर्ताओं सहित लगभग 300 लोगों ने पटेल को लिखे गए एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. जैस्मीन को तीन साल की उम्र में उसकी मां ब्रिटेन लेकर आई थीं, जो खुद एफजीएम का शिकार हैं और जिसकी दो बहनें अपने मूल स्थान सूडान में खतने के बाद मर चुकी हैं.
सूडान की लड़की जैस्मीन के मामले में द गार्जियन अखबार द्वारा पिछले सप्ताह रिपोर्ट किए जाने के बाद से लोगों का काफी समर्थन देखने को मिला है, जिसमें बताया गया था कि उसे एफजीएम सुरक्षा आदेश के बावजूद बहरीन के माध्यम से सूडान निर्वासित किए जाने पर खतरा बना हुआ है.
खासकर मुस्लिम समुदाय में महिलाओं में खतना एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें लड़की के जननांग के बाहरी हिस्से को काट दिया जाता है या इसकी बाहरी त्वचा निकाल दी जाती है. आमतौर पर पुरुषों का खतना किया जाता है, लेकिन दुनिया के कई देशों में महिलाओं को भी इस दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसका मकसद लड़कियों में संभोग (सेक्स) की इच्छा को दबाना या सीमित करना बताया जाता है.
गैर-लाभकारी सदस्यता संगठन गुड लॉ प्रोजेक्ट द्वारा प्रकाशित पत्र में लेबर सांसद हेलेना कैनेडी, पूर्व मुख्य अभियोजक नजीर अफजल और 30 से अधिक सांसदों ने अपने नाम जोड़े हैं. पत्र को कार्यकर्ता हुड्डा अली के नेतृत्व में भेजा गया है, जो खुद एफजीएम की शिकार हैं और उन्होंने खतना की वजह से सात साल की उम्र के बाद से ही अपने जीवन के बदलते परिणामों को देखा है.
अली ने कहा, जैस्मिन को एफजीएम के बारे में पता होगा, क्योंकि उसकी मां का खतना किया गया है और उसकी मौसी की खतने के बाद मृत्यु हुई है. उसे स्कूल में पढ़ाया जाएगा कि उसका शरीर उसका है, लेकिन घर पर वह एफजीएम के जोखिम के बारे में सुनती है. यह अविश्वसनीय रूप से भ्रामक और डरावना है. इस मामले को लेकर पटेल के सामने चहुंओर कानूनी चुनौती है, जिसे अदालत में पिछले महीने सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया गया था.
कैनेडी का हालांकि मानना है कि इस मामले पर फैसला इतना भी आसान नहीं होगा, क्योंकि एफजीएम की आड़ में ब्रिटेन में शरण प्राप्त करना बहुत आसान हो जाता है तो ब्रिटेन में आवेदकों की भरमार हो सकती है. मगर इसके साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि हर मामले का फैसला उसकी मैरिट के आधार पर किया जाना चाहिए और यह बहुत महत्वपूर्ण बात है कि ब्रिटेन की अदालतें महिला जननांग विकृति पर सख्त हैं, जो यातना का एक रूप है.
Source : IANS