नेपाल की राजनीति में इन दिनोें काफी खींचतान चल रही है. इस बीच नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के नेता ने कहा कि भारत की दोस्ती के बिना नेपाल कभी आर्थिक समृद्धि हासिल नहीं कर सकती है. सीपीएन-यूएमल नेता ने विश्वासमत की पूर्व संध्या पर यह बड़ा बयान दिया है. बता दें, नेपाल में सत्ता परिवर्तन हो गया है. ओली की पार्टी ने प्रचंड सरकार ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. ऐसे में अब प्रधानमंत्री पुुष्प कुमार दहल प्रचंड को सदन में विश्वास हासिल करना है. शुक्रवार को प्रचंड को सदन में बहुमत साबित करना होगा.
केपी शर्मा ओली को चीन का समर्थक माना जाता है. ऐसे में उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजन भट्टाराई की टिप्प्णी मायने रखती है. भट्टाराई ने कहा कि सीपीएन-यूमीएल इस बात को नहीं मानती कि भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल प्रगति कर पाएगा. या फिर भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल के लोगों के हितों को बढ़ावा मिल सकता है. ओली आज की मांग को देखते हुए नेपाल-भारत के रिश्तों को नई ऊंचाई देना चाहते हैं. हमें लगता है कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने से अधिक विदेशी निवेश को नेपाल की ओर आकर्षित कर सकते हैं. हम अपनी धरती पर भारत विरोधी गतिविधियों को अनुमति नहीं दे सकते हैं.
जानें नेपाली संसद में किसके पास कितनी सीट
नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुए थे. आम चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था. हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर के सामने आई. देउबा की पार्टी को 89 सीटें मिलीं, ओली शर्मा की पार्टी को 78 और प्रचंड की पार्टी को 32. सबसे कम सीटें जीतकर भी प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देउबा की पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि, गठबंधन सरकार अधिक वक्त तक टिक नहीं पाई. 15 माह बाद मार्च 2024 को फूट के कारण गठबंधन टूट गया. प्रचंड ने फिर ओली के भरोसे सरकार बनाई, जो अब गिर चुकी है.
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Source : News Nation Bureau