रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने नई पीढ़ी की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस एक जंगी बेड़ा अटलांटिक महासागर में तैनात कर दिया है. माना जा रहा कि है कि इस कदम के साथ पुतिन ने अमेरिका नीत पश्चिम देशों को साफ संकेत दिया है कि क्रेमलिन यूक्रेन (Russia Ukraine War) से युद्ध से पीछे नहीं हटेगा. गौरतलब है किइस वक्त रूस, चीन और अमेरिका हाइपरसोनिक (Hypersonic Missile) हथियार विकसित करने की दौड़ में हैं. हाइपरसोनिक हथियार अपनी गति और सटीकता की वजह से विरोधी पर बढ़त हासिल करने के बेहतरीन अस्त्र के रूप में देखे जा रहे हैं. रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू और एडमिरल ऑफ द फ्लीट ऑफ द सोवियत यूनियन गोर्शकोव जंगी बेड़े के कमांडर इगोर क्रोखमल के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस में पुतिन ने कहा कि लड़ाकू बेड़ा जिरकॉन (Zircon) हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस है. पुतिन ने कहा कि मुझे यकीन है कि ऐसे शक्तिशाली हथियार रूस को संभावित बाहरी खतरों से बचाएंगे.
अगले महीने रूस-यूक्रेन युद्ध को हो जाएगा एक साल
पुतिन द्वारा यूक्रेन में सैनिकों को भेजे जाने के 10 महीने से अधिक समय बाद भी युद्ध का कोई अंत नहीं दिख रहा है, जो सर्दियों में और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. अब तक इस युद्ध में दोनों पक्षों के हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं और बड़ी संख्या में घायल भी हुए हैं. गौरतलब है कि जिरकॉन की तैनाती से रूस यूक्रेन में किंजल मिसाइलों का इस्तेमाल कर चुका है. हाइपरसोनिक हथियारों को रूस ने 2019 में सेना में शामिल किया था. अब जिरकॉन रूस के हाइपरसोनिक शस्त्रागार का आधारस्तंभ बताई जा री है. रूस इन हाइपरसोनिक हथियारों के जरिये अमेरिका के आधुनिक मिसाइल सुरक्षा कवच को भेदने की क्षमता रखता है. रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने कहा कि गोर्शकोव अटलांटिक और भारतीय महासागरों से भूमध्य सागर तक जाएगा. उन्होंने कहा कि जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल समुद्र और जमीन पर दुश्मन के खिलाफ सटीक और शक्तिशाली हमले करने में सक्षम है.
यह भी पढ़ेंः Corona Virus: चीन में कोरोना के लिए ये दो वैरिएंट जिम्मेदार, WHO ने किया नामों का खुलासा
हाल-फिलहाल हाइपरसोनिक मिसाइलों का कोई तोड़ नहीं
हाइपरसोनिक मिसाइलें किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को मात देने में सक्षम हैं. यही नहीं, हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से नौ गुना अधिक गति से उड़ती है और इसकी मारक सीमा 1,000 किमी से अधिक है. हाइपरसोनिक हथियारों पर अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार रूसी और चीनी हाइपरसोनिक मिसाइलें परमाणु हथियार के साथ इस्तेमाल करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में हाइपरसोनिक हथियार की गति के कारण उसका लक्ष्य पता लगाना कहीं मुश्किल माना जाता है. यूएस कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के अनुसार रूस, अमेरिका और चीन के अलावा ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया और जापान सहित कईअन्य देश हाइपरसोनिक हथियार विकसित कर रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- पुतिन का अमेरिका नीत पश्चिमी देशों को संकेत
- हाइपरसोनिक मिसाइल का पता लगाना मुश्किल
- फरवरी में यूक्रेन-रूस युद्ध को हो जाएंगे एक साल