क्वाड नेताओं द्वारा संयुक्त बयान में कहा गया, ‘हम यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) की भी पुष्टि करते हैं, जो मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकी देने, हमला करने, आतंकवादी हमलों को वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.’चारों नेताओं के संयुक्त बयान में कहा गया है कि आईपीएमडीए हिंद प्रशांत देशों और हिंद महासागर, दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत द्वीप समूह में क्षेत्रीय सूचना संलयन केंद्रों के परामर्श और समर्थन से काम करेगा. इसके जरिए साझा समुद्री क्षेत्र जागरुकता में मदद के लिए प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि स्थायित्व और समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके.
नेताओं ने एक स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और इस क्षेत्र के लिए ठोस परिणाम देने के मकसद से अथक प्रयास करने का संकल्प लिया. संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘आईपीएमडीए ठोस परिणामों की दिशा में संयुक्त प्रयासों को उत्प्रेरित करने के क्वॉड के मकसद को पूरा करेगा, जिससे क्षेत्र को और अधिक स्थिर और समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी.’
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के नेताओं ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने वाली किसी भी बलपूर्वक, उकसाने वाली या एकतरफा कार्रवाई का मंगलवार को पुरजोर विरोध किया. क्वाड समूह के नेताओं ने क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित व्यवस्था को बरकरार रखने का संकल्प व्यक्त किया. क्वाड समूह के नेताओं की दूसरी प्रत्यक्ष बैठक में सभी नेताओं ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रमों और साझा हितों से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया.
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बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ' हम ऐसी किसी भी बलपूर्वक, उकसावे वाली या एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोझ करते हैं. जिसके जरिए यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की कोशिश कीजाए. इसमें विवादित चीजों का सैन्यीकरण,तटरक्षक पोतों एवं नौवहन मिलिशिया का खतरनाक इस्तेमाल, दूसरे देशों को अपतटीय संसाधनों के उपयोग की गतिविधियों को बाधित करने जैसी कार्रवाई शामिल है.' इसमें कहा गया है कि क्वाड, क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को प्रतिबद्ध है, जो मुक्त एवं खुले हिन्द प्रशांत की दृष्टि को साझा करते हैं.
बयान के अनुसार, ‘हम अंतरराष्ट्रीय कानून का अनुपालन करने के हिमायती हैं, जैसा समुद्री कानून को लेकर संयुक्त संधि (यूएनसीएलओएस) में परिलक्षित होता है. साथ ही हम नौवहन एवं विमानों की उड़ान संबंधी स्वतंत्रता को बनाये रखने के पक्षधर हैं ताकि नियम आधारित नौवहन व्यवस्था की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके, जिसमें पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागर शामिल है.’यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित हुआ है, जब चीन और क्वाड के सदस्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. इसकी वजह बीजिंग का लोकतांत्रिक मूल्यों को लगातार चुनौती देना और आक्रामक व्यापारिक नीतियां अपनाना है.