Rafale Deal controversy : फ्रांस के राजदूत ने कहा, फैक्‍ट्स पर चर्चा करें ट्वीट पर नहीं

फ्रांस के भारत में राजदूत अलेक्जेंड्रे जिग्लर (Alexandre Ziegler) ने राफेल लड़ाकू (Rafale Deal) विमानों पर आज बड़ी टिप्‍पणी की है.

author-image
vinay mishra
एडिट
New Update
Rafale Deal controversy : फ्रांस के राजदूत ने कहा, फैक्‍ट्स पर चर्चा करें ट्वीट पर नहीं

Rafale Deal controversy Alexandre Ziegler (फाइल फोटो)

Advertisment

फ्रांस के भारत में राजदूत अलेक्जेंड्रे जिग्लर (Alexandre Ziegler) ने राफेल लड़ाकू (Rafale Deal) विमानों पर आज बड़ी टिप्‍पणी की है. उन्‍होंने कहा कि राफेल विमानों (Rafale) पर कोई भी बात फैक्‍ट्स पर होनी चाहिए न कि ट्वीट के आधार पर. आज उनसे राफेल मामले पर जब पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्‍होंने कहा मेरा बहुत ही छोटा सा जबाव है इस मामले पर ट्वीट के आधार पर बात न करें.

राफेल (Rafale) विमानों को लेकर भारत में हंगामा मचा हुआ है. इस मामले को जहां कांग्रेस ने उठा रखा है वहीं ट्वीट के माध्‍यम से भी इस मामले पर काफी टीका टिप्‍पणी हो रही है. कुछ ही दिन पहले फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति की ओर से राफेल सौदे पर दिए गए बयान के बाद भारत में राफेल पर छिड़ी राजनीतिक जंग और तेज हो गई थी. एक फ्रांसीसी वेबसाइट ने एक लेख में ओलांद के हवाले से कहा था कि भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से रिलायंस डिफेंस को इस सौदे के लिए भारतीय साझीदार के रूप में नामित करने के लिए कहा था.

ये भी पढ़ें : जान लें क्‍यों फट जाता है आपका Gas Cylinder, पढ़ें यह जरूरी निर्देश

8 प्‍वाइंट में जानें राफेल (Rafale) के बारे में

1. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में लड़ाकू विमान खरीदने की बात चली थी. पड़ोसी देशों की ओर से भविष्य में मिलने चुनौतियों को लेकर वाजपेयी सरकार ने 126 लड़ाकू विमानों को खरीदने का प्रस्ताव रखा था.

2. काफी विचार-विमर्श के बाद अगस्त 2007 में यूपीए सरकार में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी की अगुवाई में 126 एयरक्राफ्ट को खरीदने की मंजूरी दी गई. फिर बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई और अंत में लड़ाकू विमानों की खरीद का आरएफपी जारी कर दिया गया.

3. बोली लगाने की रेस में अमेरिका के बोइंग एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉरनेट, फ्रांस का डसॉल्‍ट राफेल (Rafale), ब्रिटेन का यूरोफाइटर, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन एफ-16 फाल्‍कन, रूस का मिखोयान मिग-35 जैसे कई कंपनियां शामिल हुए लेकिन बाजी डसाल्ट एविएशन के हाथ लगी.

4. जांच-परख के बाद वायुसेना ने 2011 में कहा कि राफेल (Rafale) विमान पैरामीटर पर खरे हैं. जिसके बाद अगले साल डसाल्ट ए‍विएशन के साथ बातचीत शुरू हुई. हालांकि तकनीकी व अन्य कारणों से यह बातचीत 2014 तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

और पढ़ें : अब सस्‍ता पड़ेगा LPG Gas Cylinder, सरकार ने बदला पैसे लेने का तरीका

5. काफी दिनों तक मामला अटका रहा. नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद राफेल (Rafale Deal) पर फिर से चर्चा शुरू हुई. 2015 में पीएम मोदी फ्रांस गए और उसी दौरान राफेल (Rafale) लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर समझौता किया गया. समझौते के तहत भारत ने जल्द से जल्द 36 राफेल (Rafale) लेने की बात की.

6. नए समझौतों के मुताबिक भारत को तय समय सीमा (18 महीने) के भीतर विमान मिलेंगे. विमानों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी फ्रांस की होगी. आखिरकार सुरक्षा मामलों की कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद दोनों देशों के बीच 2016 में आईजीए हुआ.

7. नए समझौतों के बाद कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यूपीए ने 126 विमानों के लिए 54,000 करोड़ रुपये में सौदा किया था लेकिन मोदी सरकार सिर्फ 36 विमानों के लिए 58,000 करोड़ रुपये रही है.

8. कांग्रेस का आरोप है कि नए समझौते के तहत एक राफेल (Rafale) विमान 1555 करोड़ रुपये का पड़ रहा है. जबकि कांग्रेस ने 428 करोड़ रुपये में डील तय की थी. कांग्रेस का इस डील में रिलायंस डिफेंस को शामिल करने का भी विरोध कर रही है. इस मुद्दे पर राहुल गांधी भी सरकार को घेर रही है. 

Source : News Nation Bureau

Rafale Rafale Deal Alexandre Ziegler Rafale deal controversy Ambassador of France to India Alexandre Ziegler
Advertisment
Advertisment
Advertisment