5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से धारा 370 (Article 370) में मोदी सरकार (Modi Government) ने ऐतिहासिक परिवर्तन (Historical Change) कर उसे निष्प्रभावी कर दिया है. जिसके बाद से पाकिस्तान (Pakistan) कश्मीर मुद्दे (Kashmir Issue) पर दुनिया भर में अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंचों (International Stage) पर लगातार कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश में लगा है लेकिन भारत (India) ने हाल ही में फ्रांस (France) में उसकी ऐसी ही कोशिशों को नाकाम कर दिया. जिसके पाकिस्तान को फ्रांस से भी तगड़ा झटका लगा है.
मीडिया में आईं खबरों की मानें तो सितंबर के आखिर में आयोजित किए गए भारत ने फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय में कश्मीर को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में भारत ने फ्रेंच नेशनल असेंबली में निराशा व्यक्त की. इस कार्यक्रम में फ्रांसीसी विधायकों से बात करने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) के चीफ मसूद खान को आमंत्रित करने के लिए योजना बनाई गई थी. लेकिन भारत-पाक के रिश्तों और फ्रांस की भारत के साथ दोस्ती को ध्यान में रखते हुए फ्रांस ने नेशनल असेंबली को सूचित किया कि इस तरह के कदम से भारत-फ्रांस के संबंधों पर असर पड़ सकता है.
ऐसे में नेशनल असेंबली ने पीओके के चीफ मसूद खान को मुख्य अतिथि के रूप में न्योता देने के कार्यक्रम को बदल दिया है. ये कार्यक्रम फ्रांस-पाकिस्तान फ्रेंडशिप ग्रुप द्वारा 26 सितंबर को आयोजित किया गया था. सूत्रों के मुताबिक इसक कार्यक्रम में फ्रांस में पाकिस्तान के राजदूत मोइन-उल-हक शरीक हुए थे. यहां सबसे दिलचस्प बात ये रही कि अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को खत्म करने का फैसला ले लिया था और यह फैसला करने से पहले मोइन-उल-हक को भारत में अगले उच्चायुक्त के रूप में नामित किया गया था. भारत के जम्मू कश्मीर पर फैसले के बाद पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को नई दिल्ली नहीं भेजने का फैसला किया था और भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को इस्लामाबाद छोड़ने के लिए भी कहा था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो