अरब सागर (Arabian Sea) में चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) की सांठसांठ के बढ़ते प्रभाव पर शिकंजा कसने की कोशिश में भारत की वैदेशिक खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) समुद्री खुफिया तंत्र को मजबूत बना रही है. एजेंसी अरब सागर क्षेत्र को लेकर ज्यादा चौकस है. आठ महीने पहले मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामी के कार्यकाल में मालदीव की राजधानी माले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का विदेशी केंद्र बन गया था. रॉ की एक गोपनीय रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय एजेंसी ने रणनीति द्वीपीय देश मालदीव में आईएसआई के डिजाइन को नाकाम कर दिया.
यह भी पढ़ेंः भारत ने पाकिस्तान के साथ करतारपुर कॉरिडोर पर वार्ता का दिया प्रस्ताव: सूत्र
रिपोर्ट के अनुसार, चीनी खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्रीय ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) और मालदीव (maldives) के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन (Abdullah Yami) के कुछ करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर आईएसआई माले स्थित पाकिस्तानी दूतावास से संचालित भारत विरोधी गतिविधियों को प्रोत्साहन दे रही थी. यामीन कथित तौर पर एक वरिष्ठ पाकिस्तानी राजनयिक के संपर्क थे और बाद में चीनी एजेंसी के फंदे में आ गए.
रिपोर्ट बताती है कि अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल (2013-2018) के दौरान रणनीति द्वीप में चीन का सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ा. यामीन को भारत का समर्थन नहीं मिला. सरकार में ऊंचे स्तर के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि चीन ने व्यापक पैमाने की इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में दो अरब डॉलर से का निवेश किया, लेकिन बीजिंग द्वारा दिया गया ज्यादा धन कर्ज के रूप में था. यामीन ने कई चीनी कंपनियों की खातिरदारी की और उनको छोटे-छोटे द्वीप पट्टे पर भी दिए.
यह भी पढ़ेंः PM मोदी ने पढ़ा शेर तो भिड़ गए जावेद अख्तर और IPS विपुल अग्रवाल, दोनों ने कही ये बातें
सूत्र के अनुसार, मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह (Ibrahim Mohamed Solih) के सत्ता में आने पर हालात बदल गए. आखिरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के हालिया मालदीव दौरे (8-9 जून) से भारतीय सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों का मनोबल बढ़ा. सूत्र ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Doval) ने मोदी के दूसरे कार्यकाल में इस दौरे की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाई.
सूत्रों ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति यामीन पाकिस्तान के भी करीबी थे और उन्होंने कथित तौर आईएसआई को मालदीव में उसकी मौजूदगी बढ़ाने में मदद की. यामीन के कार्यकाल में माले के लिली मागू इलाके में स्थित पाकिस्तानी दूतावास आईएसआई का विदेशी केंद्र बन गया था, जहां से भारत के खिलाफ साजिश रची जा रही थी. दरअसल, पाकिस्तान के राजदूत ने बीजिंग को यामीन के साथ करीबी रिश्ता बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
यह भी पढ़ेंः हरियाणा रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी, पलवल से सोनीपत तक बिछेगी नई लाइन
यामीन के खिलाफ हवा का रुख मोड़ने के लिए भारत समर्थक नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने पिछले साल चुनाव में चीन विरोधी रुख अपनाया और वह अपने अभियान में सफल रहे. सूत्रों ने बताया कि सोलिह के सत्ता में आने के बाद मालदीव में आईएसआई (IAI) का प्रभाव धीरे-धीरे शिथिल पड़ गया. मालदीव के अलावा, रॉ की भी सेशेल्स और मॉरीशस के इर्द-गिर्द चीनी पोतों पर अपनी नजर बनी हुई है.
रॉ के नए प्रमुख सामंत गोयल (Samant Goyal) चीन-पाक मामलों के विशेषज्ञ हैं और उनको एजेंसी में 18 साल का अनुभव है. वह अरब सागर में अब भारत की चौकसी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी गोयल के बारे में माना जाता है कि वह अजित डोभाल के करीबी हैं और इस साल बालाकोट एयर स्ट्राइक की योजना बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है.
यह भी पढ़ेंः World Cup: ट्रेंट बोल्ट ने रचा इतिहास, ऐसा कारनामा करने वाले बने न्यूजीलैंड के पहले गेंदबाज
रॉ के एक वरिष्ठ पूर्व अधिकारी ने बताया, "उच्च पदस्थ डोभाल के करीबी सहयोगी सामंत मेधावी अधिकारी हैं और वह एजेंसी को एक नई पेशेवराना बुलंदी पर ले जा सकते हैं, जहां तक हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने की बात है तो रॉ अपने मकसद में कामयाब होने के लिए बिल्कुल सक्षम है."