कोरोना वायरस का कोहराम लगातार जारी है. इसके साथ ही कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन की खोज में भी पूरी दुनिया एकजुट हो गई है. इसी बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बुधवार को एक राहतभरी खबर दी. कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में ट्रायल के दौरान मरीजों पर दवा का असर होता दिख रहा है. इस खबर ने कोरोना के तांडव से परेशान कई देशों को थोड़ी बहुत ही सही, लेकिन उम्मीद की किरण जगी है. कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका समेत तमाम बड़े देश भयानक आर्थिक दिक्कतों से गुजर रहे हैं तो वहीं जर्मनी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ी मंदी की भविष्यवाणी की थी.
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दुनियाभर में 2,28,000 से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस के खिलाफ सफल उपचार के पहले प्रमाण में, रेमडेसिविर (remdesivir) दवा के एक नैदानिक परीक्षण से पता चला है कि मरीजों को एक प्लेसबो की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत तेजी से ठीक हुए हैं. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अमेरिका के शीर्ष महामारी विज्ञानी एंथनी फौसी ने कहा, "डेटा से पता चलता है कि मरीजों के रिकवरी के समय को कम करने में रेमडेसिविर का स्पष्ट, महत्वपूर्ण और सकारात्मक प्रभाव है."
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फौसी ने पहली रेट्रोवायरस की खोज की तुलना की, जो 1980 के दशक में एचआईवी के खिलाफ मामूली सफलता के साथ काम किया था. उन्होंने कहा ट्रायल में अमेरिका, यूरोप और एशिया की 68 लोकेशन पर 1063 लोगों पर इसका ट्रायल किया गया और पाया गया कि एक दवा इस वायरस को रोक सकती है. बता दें कि रेमडेसिविर अमेरिका की बायोफार्मास्युटिकल कंपनी Gilead Sciences की एक प्रायोगिक दवा है. यह इबोला वायरस के खिलाफ परीक्षणों में विफल रहा था. चीन के वुहान में मरीजों के बीच इस दवा का सीमित प्रभाव देखा गया था.
Source : News Nation Bureau