प्रेस की आजादी (Freedom of Press) को कम करने के लिये दुनियाभर की सरकारें कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) का इस्तेमाल कर रही हैं. एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया अधिकार समूह ने रविवार को यह बात कही है. अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थान ने 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2020' विषय पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोकतांत्रिक और तानाशाही व्यवस्था वाले देशों की सरकारों को गलत सूचनाओं के प्रसार को रोकने के बहाने मीडिया पर नियंत्रण करने का मौका मिल गया है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि तानाशाही व्यवस्था वाले देशों की सरकारें "स्वतंत्र मीडिया पर शिकंजा कसने के लिए उसपर आपातकालीन फैसले थोप रही हैं जबकि लोकतांत्रिक देशों में जनमत को नियंत्रित करने और लोगों को कोरोना वायरस को लेकर सरकार की गलत नीतियों के बारे में जानकारी हासिल करने से रोकने के प्रयास बढ़ रहे हैं.
वियना स्थित संगठन ने कहा कि बीते ढाई महीने के दौरान उसके सामने कोरोना वायरस कवरेज से संबंधित प्रेस स्वतंत्रता के उल्लंघन के 162 मामले आए हैं, जिनमें से एक तिहाई मामलों में पत्रकारों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है. साथ ही उनके खिलाफ मामले दर्ज किये गए. यह रिपोर्ट इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स के एक सर्वेक्षण के प्रकाशित होने के तीन दिन बाद आई है.
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सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान दुनिया भर में पत्रकारों की स्थिति खराब हो गई है. इस दौरान पत्रकारों की नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है और मीडिया की आजादी पर हमले हुए हैं. गौरतलब है कि रविवार को दुनियाभर में विश्व पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. 1993 में संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के बाद से हर साल तीन मई को विश्व पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.
Source : Bhasha