म्यांमार के रखाइन राज्य में हिंसा भड़कने से बड़े स्तर पर रोहिंग्या शरणार्थियों के पलायन के मद्देनजर भारत और म्यांमार ने बुधवार को राज्य के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
म्यांमार में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने ट्वीट किया कि भारत की तरफ से विदेश सचिव एस. जयशंकर व म्यांमार के समाज कल्याण मंत्री विन म्यात अये ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
मिस्री के अनुसार, रखाइन के समाजिक आर्थिक विकास के लिए सरकारों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ है। जयशंकर ने एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से नेपेडा में मुलाकात की।
मिस्री ने कहा कि बैठक में सू की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सितंबर में यात्रा के दौरान द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर चर्चा की गई।
और पढ़ें: हाफिज को पाक आर्मी चीफ बाजवा का साथ, कहा- कश्मीर मुद्दे के लिए लड़ रहा है
म्यांमार में हिंसा की वजह से 650,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों के पड़ोसी देश बांग्लादेश भाग जाने के बाद जयशंकर का म्यांमार दौरा बहुत महत्वपूर्ण है। रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार में नागरिकता नहीं दी गई है और इन्हें बांग्लादेश में शरणार्थी का दर्जा दिया गया है।
18 दिसंबर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के सबसे बड़े मानवाधिकार संगठन, ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा कि अक्टूबर से नवंबर के बीच म्यांमार में सैन्य अभियान में रोहिंग्याओं के 40 गांव जला दिए गए हैं।
और पढ़ें: पाकिस्तान उच्च आयोग ने कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी को दिया वीजा
(इनपुट IANS से भी)
Source : News Nation Bureau