उत्तर कोरिया के अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) के परीक्षण पर चीन और रूस ने संयुक्त रूप से विरोध जताया है। दोनों देशों का कहना है कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों और अमेरिका के सैन्य अभ्यास से कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव पैदा हुआ है।
रूस और चीन के संयुक्त बयान में कहा गया, 'दोनों देश डीपीआरके (उत्तर कोरिया) के एक स्वैच्छिक राजनीतिक निर्णय के रूप में परमाणु विस्फोटक उपकरणों और बैलिस्टिक रॉकेट प्रक्षेपण पर रोक लगाने की घोषणा करता है। इसके साथ ही अमेरिका और दक्षिण कोरिया को बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने से रोकते हैं।'
बयान में कहा गया कि इसके समानांतर विरोध पक्षों को वार्ता शुरू करना चाहिए। इस वार्ता में बल के गैर-उपयोग, आक्रामकता की अस्वीकृति और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और उनके संबंधों के सामान्य सिद्धांतों की पुष्टि होनी चाहिए। मास्को में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद यह संयुक्त बयान जारी किया गया।
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उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के निर्देश पर हवासोंग-14 मिसाइल को स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 9.40 बजे उत्तर प्योंगान प्रांत से दागा गया और यह 2,802 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा। मिसाइल ने पूर्वी सागर में गिरने से पहले लगभग 40 मिनट में 933 किलोमीटर की दूरी तय की।
आईसीबीएम के सफल परीक्षण पर अमेरिका ने कड़ा एतराज जताया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुंरत ट्वीट कर उत्तर कोरिया के करीबी सहयोगी माने जाने वाले चीन से 'इस बेवकूफी को हमेशा के लिए खत्म करने' का अनुरोध भी किया है।
रूस और चीन के संयुक्त बयान में मिसाइल टेस्ट की घोषणा की निंदा करते हुए कहा गया कि तनाव बढ़ाने वाले किसी भी तरह के बयान और कार्रवाई अस्वीकार्य है।
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HIGHLIGHTS
- उत्तर कोरिया के मिसाइल टेस्ट पर रूस औऱ चीन ने जताया विरोध
- दोनों देशों ने मेरिका और दक्षिण कोरिया को बड़े पैमाने पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने से भी रोका
Source : News Nation Bureau