रूस ने यूक्रेन के साथ जंग का ऐलान कर दिया है. इसके बाद से यूक्रेन में कई जगहों पर धमाके सुनाई दिए. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सैन्य कार्रवाई के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव पर क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमले की जानकारी मिली है. पुतिन ने सैन्य कार्रवाई की घोषणा करते ही धमकी भी दी कि कोई भी देश इस मामले में दखल देने की कोशिश न करें. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन-रूस के युद्ध को टाला नहीं जा सकता. इसलिए रूस स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन लॉन्च कर रहा है. इसका लक्ष्य यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं है. पुतिन ने यूक्रेन की सेना को कहा है कि वह हथियार डालें और अपने घर जाएं. बीते कई दिनों से रूस यूक्रेन को युद्ध की धमकी दे रहा था. उसकी सेना यूक्रेन की सीमाओं पर अपनी गतिविधियां बढ़ा रही थीं. आखिर क्या दस बड़े कारण हैं कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव युद्ध के हालात में तब्दील हो गए.
रूस को है ये डर
रूस को डर है कि अगर यूक्रेन नेटो (North Atlantic Treaty Organization-NATO) का सदस्य बना रहता है तो नेटो के ठिकाने उसकी सीमा के करीब होंगे. हालांकि नेटो ने रूस को यह भरोसा जताया है कि उसको कोई खतरा नहीं है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्द को नेटो से ही जोड़कर देखा जा रहा है. दोनों के बीच कई मौकों पर संघर्ष देखा जा चुका है. इनमें 2014 की जंग भी शामिल है, जब रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया को छीन लिया था.
कभी रूसी साम्राज्य में था यूक्रेन
यूक्रेन कभी रूसी साम्राज्य का ही हिस्सा था. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता हासिल हुई. तभी से यूक्रेन की सत्ता रूस से दूरी बनाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से नजदीकियां भी बढ़ाई हैं. साल 2010 में विक्टर यानूकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने. अपने कार्यकाल में उन्होंने रूस से बेहद करीबी संबंध स्थापित किए. इस दौरान उन्होंने यूरोपीय संघ में शामिल होने के समझौते को खारिज कर दिया. इसका परिणाम ये हुआ कि भारी विरोध प्रदर्शन की वजह से साल 2014 में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता बढ़ी
विक्टर यानूकोविच के इस्तीफे के बाद रूस की यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता बढ़ गई. वहां के अलगाववादियों की मदद से रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया. रूस पर आरोप है कि वो यूक्रेन के अलगाववादियों को पैसे और हथियारों से मदद कर रहा है. रूस इन आरोपों को खारिज करता है. हालांकि वो खुलकर अलगाववादियों का समर्थन करता है.
सौदे पर अमल नहीं हो पाया
रूस ने यूक्रेन पर आरोप लगाए हैं कि उसने 2015 के शांति सौदे का सम्मान नहीं किया है और पश्चिमी देश यूक्रेन को इसका पालन कराने में नाकाम रहे हैं. इस सौदे के तहत रूस को एक कूटनीतिक जीत मिली थी और उसने यूक्रेन को विद्रोहियों के गढ़ों को स्वायत्तता देने और उन्हें आम माफी देने के लिए बाध्य किया था. हालांकि, इस सौदे पर अमल नहीं हो पाया.
यूक्रेन ने रूस को जिम्मेदार ठहराया
इस सौदे में राजी न होने की वजह के लिए यूक्रेन रूस को जिम्मेदार ठहराता है. उसका कहना है कि रूस समर्थित अलगाववादियों ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया और पूर्व में विद्रोहियों के गढ़ में रूसी सैनिकों की मौजूदगी है. हालांकि, रूस इन दावों से इनकार करता रहा है. इन आरोपों के बीच रूस ने यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ बैठक करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि 2015 के शांति समझौते को यूक्रेन द्वारा न मानना बेकार है.
अमरीकी मदद की आलोचना की
रूस लगातार अमेरिका और उसके नेटो सहयोगी देशों पर यूक्रेन को हथियारों से मदद करने का आरोप लगता रहा है. उसने संयुक्त सैन्य अभ्यास की आलोचना भी की. उसका कहना है कि ये यूक्रेन के सैनिकों को बलपूर्वक विद्रोहियों के इलाके को दोबारा कब्जा करने के लिए प्रेरित करता है.
पुतिन ने रूसियों और यूक्रेनियों को एक ही बताया
इस वर्ष की शुरुआत में पुतिन ने चेताया था कि यूक्रेन के पूर्वी हिस्से पर कब्जे की सैन्य कोशिशों के 'यूक्रेनी राष्ट्र के दर्जे के लिए गंभीर परिणाम' होंगे. दरअसल पुतिन रूसियों और यूक्रेनियों को 'एक ही लोग' कहा करते हैं और वो दावा करते हैं कि सोवियत समय में यूक्रेन को गलत तरीके से ऐतिहासिक रूसी जमीन मिल गई थी.
यूक्रेन के नेटो में शामिल होने की चिंता
पुतिन की चिंता यूक्रेन के नेटो में शामिल होने को लेकर थी। वो चेता चुके हैं कि नेटो उनके लिए एक 'सीमा रेखा' की तरह है. उन्होंने कहा कि नेटो सदस्य यूक्रेन में सैन्य ट्रेनिंग सेंटर बनाने की तैयारी कर रहे हैं, इससे यूक्रेन को नेटो में बिना शामिल हुए उसके खिलाफ सैन्य मजबूती मिलेगी.
विश्वसनीय और दीर्घकालिक सुरक्षा गारंटी
बीते सप्ताह पुतिन ने जोर देकर कहा था कि रूस को अमेरिका और उसके सहयोगियों से 'विश्वसनीय और दीर्घकालिक सुरक्षा गारंटी' चाहिए कि वे 'पूर्व की ओर नेटो के किसी भी कदम से खुद को दूर रखेंगे और रूसी क्षेत्र के नजदीक उसके लिए खतरा पैदा करने वाले हथियारों की तैनाती' से भी दूर रहेंगे.
दिसंबर में बाइडेन से बातचीत
दिसंबर 2021 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच इस मुद्दे पर एक वर्चुअल बैठक हुई थी. कई विश्लेषकों का मानना है कि रूस की मांग को बाइडेन पूरी तरह से खारिज कर दिया. बाइडन ने कहा था कि वो 'किसी की भी सीमा रेखा को स्वीकार नहीं करने वाले हैं.
Source : News Nation Bureau