Russia Ukraine War : यूक्रेन के जर्रे जर्रे को रूसी हमलों ने दहला दिया है. खारकीव से लेकर मारियोपोल और मेकिलोव से लेकर खेरसॉन तक हर जगह सिर्फ रूस के बारूदी अटैक और उनके बाद की बर्बादी ही नजर आती है. जिस तरह तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर अटकलें तेज हो रही हैं ठीक उसी तरह दुनिया पर एक और महायुद्ध के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. वो इशारा करते हैं कि यूक्रेन पर हमला शायद सिर्फ एक ट्रेलर था. रूस की शक्ति और सुरक्षा के लिए पुतिन ने इसके आगे का ब्लूप्रिंट तैयार कर रखा है.
रूस के एक रिटायर्ड मिलिट्री ऑफिसर पहले ही दावा कर चुके हैं कि नाटो की दखलअंदाजी कम करने के लिए बाल्टिक सागर के नजदीकी देश यानी एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया अब रूस के टारगेट पर हैं और दूसरी तरफ रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के दिमित्री मेदवेदेव ने पोलैंड को एक खत लिख दिया है. इस खत में मेदवेदेव ने साफ साफ कहा है कि अगर रूस तक पहुंचने के लिए नाटो के प्लान का मोहरा पोलैंड बना तो ये पोलैंड के लिए सुसाइडल स्टेप यानी खुदकुशी साबित होगा.
रशियन सिक्योरिटी काउंसिल की पोलैंड सरकार को चेतावनी
रशियन सिक्योरिटी काउंसिल ने पोलैंड सरकार को जो खत लिखा है उसमें सबसे पहले इतिहास का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पोलैंड याद रखे कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी जर्मनी के चंगुल से रूस ने ही पोलैंड को आजाद कराया था. दूसरी चेतावनी उन प्रतिबंधों के मद्देनजर दी गई है जो पोलैंड ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगा दिए हैं. तीसरी चेतावनी में कहा गया है कि पोलैंड में कुछ ऐसे तत्व हैं जो रूस विरोधी भावनाएं भड़का रहे हैं तो ऐसे तत्वों पर रोक लगनी चाहिए और चौथी वॉर्निंग में कहा गया है कि अगर रुस से गैस सप्लाई पोलैंड रोकेगा तो उसे भी खाद्यान्न के मोर्चे पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.
पोलैंड की सैन्य तैयारियों में इज़ाफा
इस चेतावनी के बाद पोलैंड की सरकार ने भी साफ साफ कह दिया है कि उसे रूस से हमले का खतरा है और इसी वजह से पोलैंड अपनी सैन्य तैयारियों को तेज करेगा. पोलैंड पहले ही अमेरिका से एयर डिफेंस सिस्टम और जर्मनी से फाइटर जेट खरीदने की डील कर चुका है और अब पोलैंड ने अपने देश में नाटो देशों की सेनाओं की मौजूदगी बढ़ाने पर भी सहमति दे दी है.
रूस की सैन्य ताकत पर सवाल?
27 दिन से जारी रूस और यूक्रेन जंग ने अगर यूक्रेनी काउंटर अटैक को दुनिया के सामने रखा तो ये भी बता दिया कि भले ही नाटो या पश्चिमी जगत रूस को कमजोर माने लेकिन रूस की सैन्य ताकत आज भी सुपरपावर जितनी ही है और इसका जीता जागता सबूत यूक्रेन के अलग अलग हिस्सों पर जबर्दस्त रूसी हमले हैं.
यूक्रेन तो 27 दिन तक जंग के मैदान में टिक भी गया, लेकिन बाल्टिक सागर से सटे एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया इतने समय तक रूस के सामने नहीं टिक सकते, क्योंकि लातविया की सेना में सिर्फ 7400 सैनिक हैं और वायुसेना है ही नहीं. बात अगर लिथुआनिया कि करे तो उसके पास 16 हजार 800 सैनिक हैं और लिथुआनिया के पास भी वायुसेना नहीं है तो वही एस्टोनिया की सेना में सिर्फ 7 हजार सैनिक हैं और इसके पास भी वायुसेना नहीं है.
एक ताकतवर वायुसेना से रूस कितना कहर बरपा सकता है ये यूक्रेन में साबित हो चुका है जहां रूस की एयरफोर्स ने ताबड़तोड़ बमबारी कर परमाणु संयंत्रों से लेकर सैन्य बेस तक तबाह कर दिए. अब जरा सोचिए अगर नाटो के भरोसे ये छोटे छोटे देश अगर पुतिन के सामने पड़ गए तो बिना एक भी रूसी सैनिक को मैदान में उतारे तो पुतिन सिर्फ आसमान से ही इन देशों का वजूद मिटा सकते हैं.
Source : Rashi