Russia-Ukraine war: रूस यूक्रेन विवाद के 60 दिन हो चुके हैं. लेकिन अभी भी जंग खत्म होने के संकेत नहीं दिख रहे हैं, जहां एक तरफ वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की नाटों औऱ शक्तिशाली देश से लगातार हथियार की मांग कर रहे हैं, तो वहीं रूस कई घातक हथियारों की तैनाती में लगा है. यूक्रेन के कीव, खार्किव, ओडेसा, मारियुपोल समेत कई शहर तबाह हो चुके हैं. मारियुपोल शहर को तो 70 प्रतिशत से ज्यादा बर्बाद किया जा चुका है और उसके बंदरगाहों को रूसी सेना नष्ट कर चुकी है. वहीं रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से अब तक 50 लाख से अधिक लोग यूक्रेन से पलायन कर चुके हैं. देश के भीतर भी लगभग 70 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं.
हाल ही में विश्वबैंक के साथ हुए गोलमेज सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा, आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें प्रति माह सात अरब डॉलर की आवश्यकता होगी.
कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की माने तो रूस के साथ जंग में अब तक यूक्रेन का 80 अरब डॉलर से ज्यादा का इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह हो चुका है. जंग में यूक्रेन की 23 हजार किमी की सड़क, 37 हजार वर्ग मीटर का रियल एस्टेट, 319 किंडरगार्टन, 205 मेडिकल इंस्टीट्यूशन, 546 शैक्षणिक संस्थान और 145 फैक्ट्री तबाह हो चुकी है.
यूक्रेन की सिक्रेट ताकत के ताकत के सामने पुतिन की पॉवरफुल आर्मी भी हार मानने को तैयार नहीं है. यूक्रेन को लेकर पुतिन इतने गुस्से में है कि वे परमाणु धमकी भी दे चुके हैं. यहां तक यूक्रेन को पुरी तरह बरबाद करने की भी धमकी दे चुके हैं. पुतिन के वॉर प्लान से जेलंस्की को कोई खौफ नहीं नही है तभी तो यूक्रेन की सेना किसी भी किमत पर सरेंडर नहीं कर रही है. मुल्क के हजारों नौजवानों, महिलों और बच्चों की जानें जा चुकी है.
यूक्रेन आर्मी के दावे के मुताबिक, रूस के 21 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं.
यूक्रेन आर्मर्ड फोर्सेज के मुताबिक पिछले 60 साठ दिनों में रूस को नुकसान
- कुल 21,800 सैनिक ढ़ेर
- 179 प्लेन तबाह
- 154 हेलीकॉप्टर तबाह
- 873 टैंक तबाह
- 408 आर्टिलरी सिस्टम बरबाद
- 2,238 आर्मर्ड पर्सनल कैरियर तबाह
- 1,1557 वाहन बरबाद
- 76 फ्यूल टैंक तबाह
- 69 एंटी-एयरक्राफ्ट वॉरफेयर तबाह
वैश्विक स्तर पर आर्थिक असर
पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र ने 2022 में ग्लोबल इकोनॉमी में 3.6% की ग्रोथ होने का अनुमान लगाया था, लेकिन अब इसे घटाकर 2.6% कर दिया है.
वहीं राष्ट्र ने साल 2022 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ रेट का अनुमान 6.7 फीसदी से घटाकर 4.6 फीसदी कर दिया है.
रूस का अगला निशाना..
अब रूस की नजर सिर्फ यूक्रेन पर ही नहीं बल्कि ट्रांसनिस्ट्रिया तक पहूंचने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है.
इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट की माने तो पुतिन का अगला निशाना मोलदोवा, कजाकस्तान, पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया है.
हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी बताया था, यूक्रेन के बाद रूस का अगला टारगेट पोलैंड ,मॉल्डोवा,रोमानिया और बाल्टिक स्टेट बनेगा. हालांकि पुतिन की सेना के हमले के खतरे को देखते हुए अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने बाल्टिक सागर के देशों पोलैंड, रोमानिया, बुल्गारिया, हंगरी और स्लोवाकिया जैसे देशों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है.
इस जंग का असर सिर्फ रूस-यूक्रेन तक ही सीमित नहीं है बल्कि पिछले साठ दिनों में नॉर्थ कोरिया, ताइवान, अमेरिका, सोलोमन द्विप में भी तनाव ही तनाव है.
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नॉर्थ कोरिया की धमकी
अगर हम नॉर्थ कोरिया की बात करें तो वह लगातार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर रहा है. बीते 24 मार्च को उसने Hwasong-17 का टेस्ट किया. विश्लेषकों के मुताबिक यह बैलिस्टिक मिसाइल किसी भी देश की ओर से रोड मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च की गई अब तक की सबसे बड़ी तरल-ईंधन वाली मिसाइल है.
इतना नहीं नॉर्थ कोरिया ने 16 अप्रैल को हमसंग इलाके से इस्ट सी की ओर 2 मिसाइलों का परीक्षण किया. जिसके बाद साउथ कोरिया मिलिट्री, इंटेलिजेंस एजेंसियां और नेश्नल सेक्युरिटी ऑफिस ने आपात मीटिंग बुलाई.
बताया जाता है कि उत्तर कोरिया ने KN-23 और 24 सॉलिड-प्रोपेलेंट शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित किया है.
KN-23 और 24 को दोहरी क्षमता वाली मिसाइल माना जाता है जो पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के पेलोड डीलिवर करने में सक्षम हैं.
इतना नहीं दक्षिण कोरिया में सरकारी सूत्रों के मुताबिक, उत्तर कोरिया अपने परमाणु परीक्षण स्थल पुंगये-री में एक सुरंग का "शॉर्टकट" बनाने पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य सातवें भूमिगत परमाणु प्रयोग के लिए तेजी से तैयारी करना है. यह 4.5 वर्षों में नॉर्थ कोरिया का पहला ज्ञात परमाणु परीक्षण होगा. पुंगये-री क्षेत्र में कथित तौर पर चार सुरंगें हैं, जिन्हें 2018 में औपचारिक रूप से बंद कर दिया गया था, जिसमें आमंत्रित विदेशी पत्रकारों के एक छोटे समूह के सामने विध्वंस कार्य किया गया था.
ताइवान में तनाव
वहीं अगर हम चीन ताइवान की बात करें तो ताइवान के एयरस्पेस में पीएलए के विमान लगातार उड़ान भर रहे हैं. इस माह 40 से ज्यादा चीनी मिलिट्री एयरकार्फ्ट को ताइवान एयरस्पेस में ट्रैक किया जा चुका है. अभी हाल ही में 11 चीनी एयरक्राफ्ट को ताइवान के एयरस्पेस में ट्रैक किया गया.
एक तरफ जहां चीन लगातार वॉर एक्सरसाईज कर रहा हैं तो वहीं ताइवान भी मुकाबले के लिए कमर कस लिया है.
हाल ही में ताइवान की सेना ने एक हैंडबुक पब्लिश की है. इसमें नागरिकों को संभावित चीन के हमले के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सन ली-फेंग ने कहा- 28 पन्नों की इस गाइड में ऐसी जानकारी है जो सैन्य संकट या आपदा के दौरान लोगों के काम आएगी. हालांकि चीन के लिए ताइवान पर हमला उतना आसान नहीं है जितना रूस के लिए यूक्रेन पर हमला था. ताइवान को अमेरिकी सैन्य सहायता बड़े स्तर पर मिल रहा है. ताइवान के पास 6000 से ज़्यादा मिज़ाइल और 3000 अमेरिकी सैनिकों का सीधे तौर पर सपोर्ट है. इसके अलावा खुद का बनाया Hsiung Feng 1, 2 और 3 जैसे एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम हैं. वहीं चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए ताइवान आर्मी की 269 वीं ब्रिगेड ने एक्सरसाइज किया है.
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साउथ चाइना सी में तनाव बरकार
साउथ चाइना सी में क़रीब 250 छोटे-बड़े द्वीप हैं. लगभग सभी द्वीप निर्जन हैं. इनमें से कुछ ज्वार भाटे के कारण कई महीने पानी में डूब रहते, तो कुछ अब पूरी तरह डूब चुके हैं. ये इलाक़ा हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच है और चीन, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और फ़िलीपीन्स से घिरा है. इंडोनेशिया के अलावा अन्य सभी देश इसके किसी न किसी हिस्से को अपना कहते हैं.
ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक पीटर जेनिंग के मुताबिक, चीन साउथ चाइनी सी में डूबे चट्टानों के ऊपर चीन लाखों करोड़ों किलो कॉन्क्रीट और पत्थर डाल रहा है. इस तरह वो समुद्र के भीतर मज़बूत नींव तैयार कर उसके ऊपर कृत्रिम द्वीप बना रहा है."
चीन साउथ चाइना सी के पारासेल, स्पार्टली, फायरी, मिसचिफ़, सूबी और वूडी द्वीपों को बड़ा करने और वहां सैन्य अड्डे और बंदरगाह बनाने का काम कर रहा है.
चीन ने यहां तीन हज़ार मीटर लंबे तीन रनवे बना लिए हैं. ये सैन्य रनवे हैं यानी यहां वो लड़ाकू विमान उतार सकता है. वो कच्चे तेल के बड़े-बड़े टैंक ज़मीन के नीचे समुद्र में धंसा कर वहां तेल के विशाल भंडार बना रहा है. द्वीप की सुरक्षा के लिए उसने यहां मिसाइल सिस्टम लगाया है.
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उधर अमेरिका, ब्रिटेन, भारत भी लगातार अपना सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है. साथ ही लगातार अपने पुराने हथियारों को अपग्रेड कर रहा है. वहीं रूस भी अपने न्युक्लियर विपन को तैयार रखा है.
खबर ये भी है रूस अपनी नव विकसित सरमट इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल को सितंबर-अक्टूबर के दौरान तैनात कर देगा.
Source : Shankresh Kumar