Russia Moon Mission: भारत के बाद रूस भी चंद्रमा पर अपना मिशन भेजने वाला है. फिलहाल भारत के चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर लैंडिंग को लेकर नजर बनी हुई है. इसी बीच रूस भी अपना चंद्रयान मिशन लॉन्च करने जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, रूस 11 अगस्त को अपने चंद्रयान मिशन लूना-25 को लॉन्च करेगा. बता दें कि रूप करीब पांच दशक (47 साल) बाद चंद्रमा पर अपना कोई मिशन भेज रहा है. शुक्रवार को लॉन्च किए जाने वाले इस मिशन के बारे में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने भी पुष्टि की है. बता दें कि रोस्कोस्मोस ने साल 1976 में लूना-24 को लॉन्च किया था.
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मॉस्को से 5550 किमी दूर कोस्मोड्रोम से लॉन्च होगा मिशन
बता दें कि रूस अपने मून मिसन लूना-25 को शुक्रवार 11 अगस्त को लॉन्च करेगा. इस संबंध में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने एक बयान जारी किया है. इस मिशन को रूस की राजधानी मॉस्को से करीब 5550 किमी पूर्व में स्थिर वोस्तोचनी कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया जाएगा. रोस्कोस्मोस लूना-25 को सोयुज-2 रॉकेट के अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करेगा. बताया जा रहा है कि इसके लिए एजेंसी ने एक गांव को खाली कराया है.
क्यों खाली कराया गया गांव
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस गांव को इसलिए खाली कराया गया है क्योंकि जब इस मिशन को लॉन्च किया जाएगा और इसके रॉकेट बूस्टर अलग होंगे तो उसका मलबा इस इलाके में गिर सकता है जहां ये गांव बसा हुआ है. रूसी स्पेस एजेंसी ने अपने बयान में कहा है कि लूना-25 का उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग टेस्टिंग करना, मिट्टी और पानी के नमूने लेना और उनका विश्लेषण करना है. साथ ही चंद्रमा पर दीर्घकालिक वैज्ञानिक अनुसंधान करना है.
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800 किग्रा वजन वाला है लूना-25 का लैंडर
बता दें कि करीब एक महीने पहले मून लैंडर को बनाने वाली एयरोस्पेस कंपनी एनपीओ लावोचकिना ने घोषणा की थी लूना-25 का काम पूरा कर लिया गया है. रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा है कि लूना-25 को सोयुज-2 फ्रीगेट बूस्टर से लॉन्च किया जाएगा. इसके लैंडर का वजन लगभग 800 किग्रा है. ये लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला लैंडर होगा. रूस ने इसके चांद पर सफल लैंड करने की उम्मीद जताई है. रूस का ये लैंडर चांद पर करीब एक साल तक काम करेगा. जबकि भारत का चंद्रयान-3 सिर्फ दो सप्ताह तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.
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भारत का चंद्रयान-3 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. जो बेहद उबड़-खाबड़ इलाका है इसलिए यहां लैंड करना काफी मुश्किल काम होता है. लेकिन दक्षिणी ध्रुव एक बेशकीमती जगह है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें काफी मात्रा में बर्फ हो सकती है जिसका इस्तेमाल ईंधन और ऑक्सीजन निकालने के साथ-साथ पीने के पानी के लिए भी किया जा सकता है. जो निकट भविष्य में इंसान को चंद्रमा पर बसाने में मदद कर सकता है.
HIGHLIGHTS
- रूस भी लॉन्च करने जा रहा मून मिशन
- इसी महीने लॉन्च करेगा लूना-25
- एक साल तक चंद्रमा पर काम करेगा लूना-25
Source : News Nation Bureau