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देश छोड़कर भाग रहे हैं रूसी, पुतिन के इस ऐलान से मची खलबली

रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. इस युद्ध में सात महीने बीत जाने के बाद भी न यूक्रेन झुकने को तैयार है और न ही रूस बख्शने के मूड में है.

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Iftekhar Ahmed
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Arussia  Ukraine war

देश छोड़कर भाग रहे हैं रूसी, पुतिन के इस ऐलान से मची खलबली( Photo Credit : File Photo)

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रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. इस युद्ध में सात महीने बीत जाने के बाद भी न यूक्रेन झुकने को तैयार है और न ही रूस बख्शने के मूड में है. युद्ध में दोनों ओर से बड़ी संख्या सेना के जवान मारे जा रहे हैं. इस बीच सेना की आवश्यक संख्या बरकरार रखने के लिए 21 सितंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आंशिक सेना जुटाने की घोषणा की थी. पुतिन की इस घोषणा के बाद रूस की सीमा से लगते यूरोपीय देशों में रूसी नागरिकों की भीड़ उमड़ रही है. बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ रहे हैं. रूस छोड़ कर जाने वालों की सही संख्या बताना तो मुश्किल है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और रूसी सीमा से लगते पड़ोसी देशों से जारी आंकड़ों के आधार पर यह संख्या लाखों में बताई जा रही है. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से स्वतंत्र नोवाया गजेटा ने 26 सितंबर को बताया कि 261,000 लोग सेना जुटाने का अभियान शुरू होने के बाद से अब तक देश छोड़ चुके हैं. हालांकि इस में कई तरह के लोग शामिल हैं. मिसाल के तौर पर सेना में भर्ती होने वाले लोगों के परिवार के सदस्य और इसके अलावा दूसरे यात्री भी इनमें शामिल है. 

रूस में एकतरफा एयर टिकटों की संख्या में 27 फीसदी का इजाफा
रूस में बिकने वाले विमानों के टिकटों के आंकड़े भी बता रहे हैं कि बड़ी संख्या में लोग रूस से बाहर जा तो रहे हैं, लेकिन वे वापिस नहीं आ रहे हैं. इसमें सबसे चौकाने वाली बात ये है कि एकतरफा टिकटों की संख्या खरीदने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. पिछले हफ्ते यानी 21 सितंबर से 27 सितंबर के बीच एकतरफा टिकटों की संख्या उससे पिछले हफ्ते के मुकाबले 27 फीसदी ज्यादा बिकी. गौरतलब है कि ये आंकड़े स्पेन की फॉरवर्डकीज के हैं, जो एयर रिजर्वेशन बुकिंग का विश्लेषण करती है.

रूस में इस वक्त तीन लाख जवानों की सेना में भर्ती की जानी है
गौरतलब है कि किसी बड़ी लड़ाई छिड़ने की आशंका के बीच रूस में बड़े पैमाने पर युवाओं की सेना में भर्ती हो रही है. खुद रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने 4 अक्टूबर को ऐलान किया था कि इस वक्त सेना में तीन लाख युवाओं की भर्ती की जानी है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 200,000 लोगों की भर्ती हो चुकी है.

कहां जा रहे हैं रूसी नागरिक 
लिहाजा, सेना में भर्ती होकर अपनी जान गंवाने के डर से बड़ी संख्या में रूसी युवा और उनके माता पिता देश छोड़ रहे हैं. ये लोग अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अलग देशों का रुख कर रहे हैं. बाहर जाने वाले कुछ रूसियों ने कजाखस्तान का रुख किया है. गौरतलब है कि रूस की कजाखस्तान के साथ सबसे लंबी जमीनी सीमा है. खास बात ये है कि रूसी लोग वहां बिना पासपोर्ट और वीजा के जा सकते हैं. इस संबंध में कजाखस्तान के गृह मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को जानकारी साझा करते हुए बताया था कि  21 सितंबर से अब तक दो लाख से ज्यादा रूसी देश में आ चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस दौरान 147,000 लोग यहां से बाहर गए. उन्होंने कहा कि इन लोगों की आखिरी मंजिल कहां थी, यानी वे किस देश के लिए गए यह अभी साफ नहीं है. वहीं, जॉर्जिया के गृह मंत्रालय के मुताबिक 21 सितंबर से 29 सितंबर के बीच 68,887 रूसी नागरिक जॉर्जिया में दाखिल हुए. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस दौरान 45,624 लोग जॉर्जिया से बाहर गये. खास बात ये है कि दोनों ही देशों में यह पता नहीं चल सका है कि वहां से बाहर जाने वाले कितने रूसी नागरिक किस तीसरे देश में गए हैं.

इसके अलावा बड़ी संख्या में रूसी नागरिक फिनलैंड का रुख कर रहे हैं. दरअसल, फिनलैंड का रूस के साथ 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो यूरोपीय संघ में आने के लिए रूसियों का प्रमुख मार्ग है. फिनलैंड से मिले आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण की ओर से देश की सीमा पर कर आने वाले रूसियों की संख्या 21 सितंबर के बाद दोगुनी हो गई. गौरतलब है कि 21 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच चार चेकप्वाइंटों से 59,975 रूसी फिनलैंड आए. इनमें से बहुत सारे लोग दूसरे देशों में गये और मात्र 36,116 रूसी ही स्वदेश लौटे.

रूस से इन देशों में जाने वाले नागरिकों की संख्या में 100 फीसदी का इजाफा
एयर रिजर्वेशन बुकिंग का विश्लेषण करने वाली फर्म फॉरवर्डकीज ने हवाई यात्रा के लिए की गई बुकिंग के आधार पर बताया कि 27 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में रूस से इस्तांबुल, त्बिलिसी, अलमाटी, तेल अवीव और दुबई के लिए रवाना होने वाले यात्रियों की संख्या में 100 फीसदी तक इजाफा हुआ है. गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ओर से सेना जुटाने की मुहिम शुरू करने के बाद अर्मेनिया, कजाखस्तान, जॉर्जिया और बेलारूस के जर्मन दूतावासों में जर्मनी और यूरोपीय संघ आने के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पहुंच रहे रूसियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 

रूसियों के लिए तुर्की है पसंदीदा स्थान
यूं तो तुर्की रूसी नागरिकों के लिए सैर सपाटे के लिए पसंदीदा जगह है. लेकिन, सेना में भर्ती की घोषणा के बाद यहां आने वाले रूसी यात्रियों और उड़ानों की संख्या बढ़ गई. रूस से तुर्की पहुंचे एक शख्स ने मीडिया से बताया कि वह सेना में जाने से बचने के लिए तुर्की आया है. इसकी एक झलक आधिकारिक आंकड़ों में भी दिखाई पड़ता है. अकेले अगस्त के आखिर तक तुर्की आने वाले रूसी लोगों की संख्या 30 लाख थी, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 22 फीसदी ज्यादा है.

यूरोपीय संघ और यूरोप के दूसरे देशों में जाने वाले रूसी
यूरोपीय संघ ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पुतिन की सेना में भर्ती की घोषणा के बाद रूस से यहां आने वाले रूसियों की तादाद में बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ है. यूरोपीय संघ के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 19 से 25 के बीच 66,000 रूसी  यूरोपीय संघ के अलग-अलग देशों में पहुंचे. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आंकड़ा इससे पहले के हफ्ते के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा है. यह आंकड़े यूरोपीय संघ की बॉर्डर एजेंसी फ्रंटेक्स की ओर से जारी किए गए हैं. 

रूस ने सेना में भर्ती योग्य जवानों के बाहर जाने पर लगाई पाबंदी
हालांकि, इसके बाद 26 सितंबर से शुरू हुए हफ्ते में रूस से यूरोप जाने वालों के संख्या घटकर 53,000 रह गई. यूरोपीय देशों में रूसियों के जाने की संख्या में आई गिरावट के पीठे फ्रंटेक्स ने यूरोपीय संघ की वीजा नीति की सख्ती और सेना में काम करने योग्य उम्र के लोगों को रूस से बाहर जाने पर रोक को बताया है. फ्रंटेक्स के मुताबिक यूरोपीय संघ में आने वाले ज्यादातर रूसी लोगों के पास पहले से ही रेजिडेंस परमिट या फिर वीजा था और कुछ लोग दोहरी नागरिकता वाले भी थे. 

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यूरोपीय देश रूसियों के प्रवेश पर लगा रहे हैं प्रतिबंध
रूस से बड़ी संख्या में लोगों के बाहर का रुख करने की वजह से रूस के पड़ोसी देश बड़ी परेशानी का सामना कर रहे हैं. लिहाजा, इन देशों ने रूसियों के अपने यहां घुसने पर प्रतिबंध तक लगा रहे हैं.  लिथुआनिया, एस्तोनिया, लातविया और पोलैंड में 19 सितंबर से रूसी लोगों को टूरिस्ट वीजा देना बंद करने पर सहमति बन गई है. वहीं, फिनलैंड ने भी  30 सितंबर से यह रोक अपने यहां लगा दी है. अब सिर्फ नॉर्वे का रूस से लगता आर्कटिक बॉर्डर शेंगेन टूरिस्ट वीजा होल्डर्स के लिए यूरोप आने का आखिरी सीधा रास्ता बचा है. हालांकि, 30 सितंबर को नॉर्वे के न्याय मंत्रालय ने साफ कर दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो तत्काल आदेश जारी कर रूस से लोगों के  नॉर्वे आने पर रोक लगा सकता है. इस बीच जर्मन गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी के संविधान में राजनीतिक शरण देने का प्रावधान है. हालांकि, अलग-अलग मामलों की जांच करने के बाद ही ऐसे लोगों को देश में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रूस से जर्मनी आने के सीमित रास्तों के कारण हमारा अंदाजा है कि कम ही मामले आयेंगे. वहीं,  फ्रांस के यूरोपीय मामलों के जूनियर मंत्री लॉरेंस बून ने घोषणा की कि लोगों की निजी स्थिति और सुरक्षा के खतरे को देखने के बाद ही यह फैसला होगा कि उन्हें देश में आने की अनुमति दी जाए,  या नहीं.

Source : News Nation Bureau

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