पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब से बुरी खबर, अब गुजारा हुआ मुश्किल; जानें क्यों

सऊदी अरब में काम कर रहे सैकड़ों पाकिस्तानी डॉक्टर अपनी नौकरी गंवा बैठे हैं.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब से बुरी खबर, अब गुजारा हुआ मुश्किल; जानें क्यों

प्रतीकात्मक फोटो

Advertisment

सऊदी अरब में काम कर रहे सैकड़ों पाकिस्तानी डॉक्टर अपनी नौकरी गंवा बैठे हैं. सऊदी अरब के पाकिस्तान की मेडिकल डिग्री की मान्यता रद्द करने के फैसले के बाद वहां मौजूद कई पाकिस्तान के डॉक्टरों पर प्रत्यर्पण की तलवार लटक रही है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब ने अगस्त में मेडिकल लाइसेंस के लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यता में पाकिस्तान की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री (एमएस) और एमडी (डॉक्टर्स ऑफ मेडिसिन) की डिग्री की मान्यता खत्म कर दी थी.

यह भी पढ़ेंःCBI के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश बदला, अब कल होगी पी चिदंबरम मामले पर सुनवाई

सऊदी के स्वास्थ्य आयोग ने कई पाकिस्तानी डॉक्टरों को टर्मिनेशन लेटर सौंप दिए हैं. सऊदी के स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि व्यावसायिक योग्यता से पाकिस्तानियों आवेदन खारिज कर दिए गए हैं क्योंकि नियमों के मुताबिक अब पाकिस्तानी डिग्री स्वीकार्य नहीं है. जिन डॉक्टरों को टर्मिनेशन लेटर मिल गया है, उन्हें अब सऊदी छोड़ने और प्रत्यर्पण के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है. सऊदी के मंत्रालय ने कहा, पाकिस्तान की डॉक्टरी की डिग्री में ट्रेनिंग की कमी है.

सऊदी में काम कर रहे कई पाकिस्तानियों के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं है. सऊदी अरब में रह रहे एक पाकिस्तानी डॉक्टर जाहिद का भी मेडिकल लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. उन्होंने मिडिलईस्ट आई से बातचीत में कहा, हॉस्पिटल में मेरे सहकर्मी मुझे जज करते हैं, उन्हें लगता है कि मैं यहां फर्जी डिग्री के साथ आया हूं. मेरे अब तक के किए काम पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. मेरी आजीविका खतरे में है.

जाहिद ने कहा, सऊदी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रातोरात बिना किसी पूर्व नोटिस के ये फैसला कर दिया. हमें नहीं पता है कि आगे क्या होने वाला है. जाहिद ने बताया कि वह बेहतर जिंदगी का ख्वाब देखकर अपने परिवार के साथ सऊदी अरब आए थे और यहां पाकिस्तान से 10 गुना ज्यादा कमाते थे.

पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य डॉ. टीपू सुल्तान ने कहा, सऊदी जाने वाले पाकिस्तानियों की संख्या इसलिए ज्यादा है क्योंकि कराची और बलूचिस्तान जैसे शहरों में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ गई है. शिया मुस्लिम प्रोफेशनल्स और डॉक्टर्स को निशाना बनाए जाने की वजह से 2000 से ज्यादा डॉक्टर्स पाकिस्तान छोड़कर चले गए हैं.

यह भी पढ़ेंःVideo: 43 साल पहले जमैका के पिच पर बहा था भारतीय खिलाड़ियों का खून, आज बनेगा इतिहास

सऊदी अरब के फैसले से प्रभावित हुए पाकिस्तानी डॉक्टरों का आरोप है कि पाकिस्तान का 'कॉलेज ऑफ फिजीशियन ऐंड सर्जन्स' (CPSP) ही उनकी दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है. जेद्दाह के एक निजी अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, सऊदी के एक अधिकारी ने उन्हें बताया था कि सीपीएसपी (CPSP) ने खुद ही सऊदी के स्वास्थ्य अधिकारियों को जानकारी दी थी कि पाकिस्तान की डॉक्टरी की डिग्री रिसर्च आधारित है, क्लीनिकल नहीं.

कॉलेज के प्रतिनिधि दल ने जुलाई महीने में सऊदी अरब का दौरा किया था और दावा किया था कि वह पाकिस्तान की इकलौती यूनिवर्सिटी है जो डिग्री में क्लीनिकल प्रैक्टिस करवाती है जबकि देश की बाकी यूनिवर्सिटीज केवल एकेडमी पर केंद्रित हैं. सऊदी के फैसले के बाद पाकिस्तान का स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले की जांच कर रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के विशेष सचिव जफर मिर्जा ने मंत्रालय को सऊदी सरकार के साथ संपर्क करने और मामले की जांच करने का निर्देश दिया है.

इस मामले पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी चुप्पी साधे हुए हैं. पाकिस्तान ने सऊदी अरब से भारी-भरकम कर्ज लिया है, इसलिए वह उसके फैसले के खिलाफ आवाज भी नहीं उठा सकता है. आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान सऊदी के कर्ज को खतरे में डालने का जोखिम नहीं लेना चाहता है. विल्सन सेंटर थिंक टैंक, एशिया के डेप्युटी डायरेक्टर माइकेल कुगेलमैन कहते हैं, आर्थिक तंगहाली से जूझ रहा पाकिस्तान सऊदी अरब के एहसान से उसके कदमों की आलोचना करने से पीछे हट रहा है. इस्लामाबाद को दिए गए पैकेज के बीच सऊदी को ऐसे कड़े फैसले लेने का मौका मिल गया है, उसे पता है कि पाकिस्तान नाखुश होने के बावजूद ज्यादा शिकायत नहीं करेगा. हालांकि, मुझे नहीं लगता है कि एक फैसले से सऊदी-पाकिस्तान के रिश्तों पर कोई असर पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंःआम आदमी को मंदी के झटके से बचाने के लिए नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

पाकिस्तान के डॉक्टरों के लिए प्रत्यर्पण का खतरा मंडरा रहा है. पाकिस्तानी डॉ. जाहिद को सऊदी आयोग को दिए गए आवेदन को 10 महीने बीत चुके हैं लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला है. वह कहते हैं कि सऊदी अरब में मेरा भविष्य अधर में है. मेरे साथ परिवार भी है और यहां स्कूल में मेरे बच्चे भी पढ़ रहे हैं. अगर मेरी नौकरी चली गई तो सब कुछ दांव पर लग जाएगा. अगर मेरा प्रत्यर्पण होता है, तो यह भी गारंटी नहीं है कि पाकिस्तान में मैं अपने परिवार का गुजारा कर पाऊंगा क्योंकि वहां के हालात में भी अनिश्चितता है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

pakistan imran-khan Saudi Arabia Pakistani doctors Pakistani degree
Advertisment
Advertisment
Advertisment