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ट्रंप के कारण घटाया गया 'डूम्सडे क्लॉक' का टाइम, 64 साल बाद 'प्रलय' के सबसे नजदीक पहुंची मानव सभ्यता!

1953 में अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हथियारों की होड़ के दौरान डूम्सडे क्लॉक को प्रलय के संकेत के इतने करीब किया गया था। बुलेटिन में कहा गया है कि ट्रंप ने अपने बयानों और पूरी दुनिया में बढ़े कट्टरवाद से मानव सभ्यता प्रलय के बेहद नजदीक आ गई है।

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vineet kumar
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ट्रंप के कारण घटाया गया 'डूम्सडे क्लॉक' का टाइम, 64 साल बाद 'प्रलय' के सबसे नजदीक पहुंची मानव सभ्यता!

डोनाल्ड ट्रंप की वजह से घटा डूम्सडे क्लॉक का टाइम (फाइल फोटो)

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डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया प्रलय के और नजदीक आ गई है। यह बात वैज्ञानिकों ने कही है। अमेरिका के 'बुलेटिन ऑफ दि एटॉमिक साइंटिस्ट्स' के वैज्ञानिकों के मुताबिक ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने प्रतीकात्मक डूम्सडे क्लॉक (प्रलय की घड़ी) को मिडनाइट के 30 सेकेंड और पास खिसका दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक 64 साल में यह पहली बार है जब डूम्सडे क्लॉक अपने केंद्र के इतने करीब पहुंच गई है। इससे पहले यह अपने केंद्र से तीन मिनट की दूरी पर थी।

इससे पहले 1953 में अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हथियारों की होड़ के दौरान यह घड़ी प्रलय के संकेत के इतने करीब की गई थी। जबकि अब से पहले आखिरी बार इसे 2015 में सेट किया गया था।

बुलेटिन में कहा गया है कि ट्रंप के बयानों और पूरी दुनिया में बढ़े कट्टरवाद से मानव सभ्यता प्रलय के बेहद नजदीक आ गई है। बुलेटिन में ट्रंप के ईरान के साथ परमाणु समझौते पर संदेह जताने, उत्तर कोरिया से मुकाबले के लिए जापान और दक्षिण कोरिया को और ज्यादा परमाणु शक्ति हासिल करने के ट्रंप के सलाह सहित कई विवादित बातों का उल्लेख किया है।

साथ ही चीन के पाकिस्तान को परमाणु हथियारों के लिए सहयोग देने और भारत के साथ पाकिस्तान की हथियारों की प्रतिद्वंद्वीता का भी जिक्र किया गया है।

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बुलेटिन में कहा गया है कि मानवता अगर खतरें में पहुंचती है तो ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी जिम्मेदार होंगे। बुलेटिन में पुतिन के रूस को परमाणु क्षमता से खुद को और लैस करने की बात का भी जिक्र है। इसके अलावा सीरिया और यूक्रेन में छिड़े युद्ध और रूस तथा अमेरिका के इस पर अड़ियल रूख की भी बात कही गई है।

क्या है डूम्सडे क्लॉक (कयामत की घड़ी):

डूम्सडे क्लॉक एक सांकेतिक घड़ी है जिसे वैश्विक परिस्थितियों के हिसाब के वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर बढ़ाया या घटाया जाता है। इसे 1947 से लगातार बरकरार रखा जा रहा है। इस पर आम घड़ी की तरह संकेत बने हुए हैं।

माना जाता है कि जब घड़ी में 12 बजा दिए जाएंगे तो वह धरती के खात्मे का समय होगा। यह सबसे करीब 1953 में आया था जब मिनट की सुई 12 से केवल दो मिनट पीछे रह गई थी। इसके बाद 1963 में यह सुई सबसे दूर 12 मिनट की दूरी और फिर 1995 में 15 मिनट की दूरी पर पहुंच गई थी।

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HIGHLIGHTS

  • सांकेतिक घड़ी डूम्सडे बताती है कि कब आएगा धरती पर वह प्रलय, जिसके लिए इंसान जिम्मेदार होंगे
  • डूम्सडे क्लॉक के लिए विश्व की राजनीतिक परिस्थितियों सहित क्लाइमेंट चेंज और हथियारों की होड़ भी जिम्मेदार  

Source : News Nation Bureau

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