वैज्ञानिकों ने लॉकडाउन में छूट दिए जाने के बाद विभिन्न देशों में कोविड-19 महामारी के फैलने की तीव्रता का अनुमान लगाने के लिये मौसम पूर्वानुमान तकनीक का उपयोग किया है. साथ ही, उन्होंने वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए किए गए उपायों की कारगरता का भी आकलन किया. ब्रिटेन स्थिति रीडिंग विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानियों सहित एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने डेटा सम्मिलन तकनीक का उपयोग किया.
इस तकनीक के तहत सूचना के विभिन्न स्रोतों को शामिल किया गया, ताकि आने वाले समय में उभरने वाली स्थिति का पता चल सके. जर्नल फाउंडेशन ऑफ डेटा साइंसेज को सौंपे गए इस अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि इस बारे में सटीक अनुमान लगाना संभव है कि लॉकडाउन में छूट देने के उपाय किस तरह से दो हफ्ते पहले ही वायरस के प्रसार को प्रभावित कर सकते हैं.
अध्ययन दल में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि इस तकनीक का उपयोग मौसम का पूर्वानुमान लगाने में किया जाता है. अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाले ‘नोर्स :नार्वेजियन रिसर्च सेंटर’ के प्रोफेसर गेर एवेंसेन ने कहा कि इस अध्ययन का एक प्रमुख निष्कर्ष यह है कि हम इस बारे में सटीक अनुमान लगा सकते हैं कि किस तरह से संक्रमण की चपेट में आ सकने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन हो सकता है.
इस अध्ययन से यह पता चलता है कि विभिन्न परिस्थितियों में कैसी स्थिति उभर कर सामने आएगी और इसके जरिये दीर्घकालीन पूर्वानुमान भी व्यक्त किए जा सकते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि इसका यह मतलब है कि यह लॉकडाउन के नियमों में बदलाव के प्रभाव का अनुमान लगाने में उपयोगी साबित होगा.
Source : Bhasha