जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान पर्ल हार्बर का दौरा तो किया, लेकिन माफी नहीं मांगी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अमेरिका के नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया था और इस हमले में अमेरिका के करीब 24 हज़ार लोग मारे गए थे।
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जापान सरकार शिंजो आबे के इस दौरे को दोनों देशों के बीच सुलह की एक कोशिश की नज़र से देख रही है और मज़बूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ बेहतर माहौल की उम्मीद कर रही है। एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, आबे पर्ल हार्बर के यूएस अरिज़ोना स्मारक पर पहुंचे और वहां पूरी तरह से मौन रहे। उन्होंने माना कि अमेरिका और जापान के बीच सबसे भयावह युद्ध लड़ा गया। उन्होंने अमेरिकी जवानों के प्रति संवेदनाएं भी प्रकट की, लेकिन माफी नहीं मांगी।
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7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर अमेरिकी नौसैनिक अ़ड्डे पर हमला किया था जिसमें 24 हज़ार से अधिक अमेरिकी जवान मारे गए थे। इस हमले के जवाब में अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नाकासाकी पर परमाणु बम गिराए थे और इसके बाद अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में सीधे तौर पर शामिल हो गया था। जापान की धरती पर हुए परमाणु हमले का असर पूरे विश्व पर पड़ा था और जापान आज तक इसकी चोट से उबर नहीं पाया है।
जापान ने 15 अगस्त 1947 को आत्मसमर्पण कर दिया था। इससे 6 महीने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी जापान के हिरोशिमा का दौरा किया था।
Source : News Nation Bureau