ऑस्ट्रेलिया के लोग सेना में जाने से कतरा रहा है. यहां पर हालात ये है कि ऑस्ट्रेलियाई सेना में जवानों की भारी कमी देखने को मिली रही है. ऐसे में ऑस्ट्रेलियन डिफेंस फोर्स में भर्ती संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऑस्ट्रेलिया को भविष्य की चिंता सता रही है. उसे सेना में 69,000 जवानों जरूरत है. भर्ती निकालने के बाद भी महज 80% युवाओं ने आवेदन किया है. अब देश में जवानों की आपूर्ति को लेकर ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ऐलान किया है कि इसकी कमी को पूरा करने लिए विदेशी नागरिकों के लिए भर्ती खोली गई है.
अब यह सवाल उठता है कि आखिर ऑस्ट्रेलिया में लोग सेना में क्यों नहीं भर्ती होना चाहते हैं. इस पहला कारण है देश में बेरोजगारी की दर उतनी अधिक नहीं रह गई है. यहां पर बेरोजगार कम हैं. प्राइवेट सेक्टर बेहतरीन अवसर मौजूद हैं. यहां के युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में अच्छा वर्क कल्चर और फ्यूचर दिखाई देता है. ऐसे में युवाओं का केंद्र इधर ही रहता है. दूसरा कारण बताया जा रहा है कि लोगों के अंदर देशप्रेम कम हो चुका है. देश की रक्षा के लिए लड़ने की घटती इच्छा शक्ति. ये ही वो वजहें हैं, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया में आज सेना को जवानों की कमी देखी जा रही है. वैकेंसी निकालने के बाद उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं.
ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ऐलान किया है कि जो विदेशी कम से कम 12 माह तक देश में रहे हैं, वे अगले वर्ष से देश की सशस्त्र सेनाओं में शामिल होने के पात्र होने वाले हैं. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री और उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्लेस और रक्षा कार्मिक मंत्री ने कैनबरा में इस पहल का ऐलान करते हुए कहा कि इससे एडीएफ यानी ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल के विस्तार में सहायता मिलेगी.
वैकेंसी में जो मानदंडों है, इसके तहत न्यूजीलैंड के लोग ऑस्ट्रेलिया के स्थायी निवासी हों या कम से कम 12 महीने से देश में रह रहे हों. इसके अलावा वे इसी साल 1 जुलाई से एडीएफ में शामिल हो सकते हैं. अगले वर्ष समान मानदंडों को पूरा करने वाले सभी देशों के नागरिक एडीएफ में सेवा करने के पात्र होंगे. हालांकि, इसकी कुछ शर्तें हैं. ऑस्ट्रेलियाई सेना में आवेदन करने वाले लोगों ने बीते 2 साल किसी भी अन्य विदेशी सेना में सेवा न दी हो, तभी वह इसके हकदार होंगे.
Source :