Israel-Palestine Dispute: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे विवाद में एक नया मोड़ सामने आया है. दरअसल स्पेन ने हाल में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है, इसके बाद अब यरूशलेम को उसकी राजधानी भी घोषित कर दिया है.स्पेन के इस फैसले ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय राजनीति बल्कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे विवाद को नए एंगल को जन्म दे दिया है. यरूशलेम को राजधानी के रूप में मान्यता देने के प्रभाव और इसके भविष्य पर गहराई से विचार करते हैं.
क्यों यरूशलेम को ही राजधानी चुना
स्पने के यरूशलेम को राजधानी चुनने के पीछे बड़ी वजह है. दरअसल यरूशलेम का धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही तरह से काफी महत्व है. ये महत्व इसे यहूदी, ईसाई और मुस्लिम धर्मों के लिए पवित्र बनाता है.
बता दें कि इजरायल और फिलिस्तीन दोनों ही इस शहर को अपनी राजधानी के रूप में दावा करते हैं, जिससे यह विवाद का केंद्र बन गया है. इजरायल ने 1967 के युद्ध के बाद यरूशलेम पर नियंत्रण कर लिया और इसे अपनी "अविभाजित" राजधानी घोषित किया, जबकि फिलिस्तीन इसे अपने भविष्य के राज्य की राजधानी मानता है.
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स्पेन के फैसले का क्या होगा असर
राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव: जानकारों की मानें तो स्पेन की ओर से यरूशलेम को फिलिस्तीन की राजधानी के रूप में मान्यता देने से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव बढ़ सकता है. इजरायल ने इस कदम की निंदा की है और इसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला बताया है. ऐसे में इजरायल ने स्पेन से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ा है.
फिलिस्तीन कीअंतरराष्ट्रीय स्थिति:
स्पेन के इस फैसले से फिलिस्तीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई मान्यता और समर्थन मिला है. इससे फिलिस्तीनी नेतृत्व को इंटरनेशनल स्टेज पर ज्यादा वैधता मिलेगी, जो उनके स्वतंत्र राज्य की स्थापना के प्रयासों को मजबूत करेगी. स्पेन का यह कदम अन्य यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय देशों को भी फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए प्रेरित कर सकता है.
अंतरराष्ट्रीय समर्थन और मान्यता:
यरूशलेम का भविष्य दो-राज्य समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. स्पेन का यह निर्णय इस विवादित क्षेत्र में शांति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है. यह कदम दोनों पक्षों के बीच वार्ता को और जटिल बना सकता है. इसके बाद भी यह निर्णय इंटरनेशनल कम्युनिटी को दो-राज्य समाधान की दिशा में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर सकता है. स्पेन का यह कदम अन्य देशों को भी फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए प्रेरित कर सकता है.
यदि अधिक देश फिलिस्तीन को मान्यता देते हैं, तो इससे फिलिस्तीन की स्थिति मजबूत होगी और इजरायल पर दो-राज्य समाधान के लिए दबाव बढ़ेगा. यह फिलिस्तीन के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन को बढ़ावा देगा और शांति वार्ता को एक नई दिशा दे सकता है.
स्पेन की ओर से यरूशलेम को फिलिस्तीन की राजधानी के रूप में मान्यता देने का निर्णय एक ऐतिहासिक और विवादास्पद कदम है. इस निर्णय का प्रभाव न केवल इजरायल और फिलिस्तीन पर, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र पर पड़ सकता है. इसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिलेगा.
अगर इस फैसले से क्षेत्रीय तनाव बढ़ता है, तो इससे व्यापक स्तर पर स्थिरता और शांति प्रभावित हो सकती है. इसके विपरीत, यदि यह निर्णय शांति वार्ता की दिशा में ले जाता है, तो इससे क्षेत्र में स्थिरता और शांति को बल मिल सकता है.
Source : Smriti Sharma