Sri Lanka Crisis : श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट से लोग बेहाल है, हालात इतने खराब हो चुके हैं कि जीवन रक्षक दवाइयों को लेकर देश में मारा मारी की स्थिति पैदा हो गई है. लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री को छोड़कर वर्तमान सरकार के सभी मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया है. इसके बाद राष्ट्रपति ने सभी दलों से राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने की अपील की है.
हालांकि, विपक्ष ने सरकार में शामिल होने से इनकार करने के साथ ही इस क्राइसिस के लिए राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है. इसके साथ ही जनता भी राष्ट्रपति के खिलाफ मोर्चा संभाला हुआ है. मंगलवात को रातभर जनता राष्ट्रपति भवन के बाहर डटी रही. इस दौरान राष्ट्रपति भवन के बाहर बड़ी संख्या में तैनात सुरक्षा बलों ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दाग कर भीड़ को तितर बितर करने का असफल प्रयास करती नजर आई. गौरतलब है कि 1948 में मिली आजादी के बाद श्रीलंका इस वक्त सबसे बुरी आर्थिक संकट से दो चार है.
देश में लगा हेल्थ इमरजेंसी
आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका इस वक्त जीवन रक्षक दवाइयों की कमी की मार झेल रहा है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि सरकार ने मंगलवार को देश में हेल्थ इमरजेंसी (Health Emergency) घोषित कर दिया. सरकार ने यह फैसला सरकारी मेडिकल ऑफिसर्स की इमरजेंसी मीटिंग के बाद बताया उठाया. दरअसल, देश में दवाइयों की किल्लत के बाद सरकारी मेडिकल ऑफिसर्स की इमरजेंसी मीटिंग में सरकार से अनुशंसा की गई थी कि दवाइयों की कमी को देखते हुए देश में मेडिकल इमरजेंसी कानून को लागू किया जाए.
विपक्ष का राष्ट्रीय एकता सरकार में शामिल होने से किया इनकार
देश की बिगड़ती स्थिति से निपटने नाकाम राष्ट्रपति ने अपनी सरकार के प्रधानमंत्री को छोड़कर सभी मंत्रियों के इस्तीफे के बाद विपक्ष से राष्ट्रीय एकता सरकार में शामिल होने का निवेदन किया था, जिसे विपक्ष ने एक सुर से खारिज कर दिया है. विपक्ष ने सरकार में शामिल होने के बजाय देश की मौजूदा हालात के लिए राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है. विपक्ष का आरोप है कि मौजूदा राष्ट्रपति ही देश में ईंधन, खाद्य पदार्थ और दवाइयों की कमी के लिए जिम्मेदार है.
राष्ट्रपति भवन के बाहर लोगों का प्रदर्शन
खाद्य पदार्थ और ईंधन के बाद अब दवाइयों की किल्लत की खबर ने श्रीलंका के लोगों के सब्र के बांध को तोड़ कर रख दिया है. देश की खस्ता हालत और दाने-दाने से मोहताज होने के बाद श्रीलंका के लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. देश में कर्फ्यू होने के बाद हजारों की संख्या में लोगों ने मंगलवार रात को राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर राष्ट्रपति कार्यालय का घेराव किया. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति भवन से जुड़ी हुई सड़कों को भी ब्लॉक कर दिया है. जनता के आक्रोश को देखते हुए राष्ट्रपति भवन के बाहर भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है.
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इसलिए टूटा लोगों के सब्र का बांध
दरअसल, श्रीलंका में महंगाई आसमान छू रही है. डीजल-पेट्रोल (Diesel-Petrol) और गैस (Gas) की देश में भारी किल्लत है. हालात ये है कि एलपीजी सिलेंडर का दाम 4,119 रुपए , पेट्रोल 254 रुपए प्रति लीटर और डीजल 176 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है. इतना पैसा चुकाने के बाद भी लोगों को इस सभी चीजों को खरीदने के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगाकर इंतजार करते हैं, तब जाकर ये सामान खरीद पाते हैं. श्रीलंका की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि चीनी की कीमत 290 रुपये किलो पहुंच गई है. वहीं, चावल की कीमत 500 रुपए किलो हो चुकी है. दरअसल, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक श्रीलंका में इस वक्त महंगाई दर 17 प्रतिशत को भी पार कर चुकी है. यह पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है. श्रीलंका इस वक्त 1948 में मिली आजादी के बाद सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. छोटे देश की स्थिति की हालत इतनी खराब है कि यहां एक कप चाय के लिए लोगों को 100 रुपये देने पड़ रहे हैं. इतना ही नहीं, ब्रेड और दूध जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. खबरों के मुताबिक इस वक्त श्रीलंका में ब्रेड के एक पैकेट की कीमत 150 रुपये हो चुकी है. वहीं, दूध का पाउडर 1,975 रुपए किलो हो चुका है.
HIGHLIGHTS
- आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में सड़कों पर उतरी जनता
- विपक्ष का राष्ट्रीय एकता सरकार में शामिल होने से इनकार
- राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग पर अड़े सभी विपक्षी दल