श्रीलंका सरकार ने मीडिया की इन रिपोर्टों को बुधवार को खारिज कर दिया कि राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने भारत की गुप्तचर एजेंसी 'रॉ' पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है और भारत को एक अहम बंदरगाह परियोजना देने का विरोध किया है. श्रीलंका में पूर्वी र्टिमनल परियोजना सहित भारत सर्मिथत परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता के लिए श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की नयी दिल्ली की यात्रा से पहले मीडिया में ये खबरें आईं.
कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक के बाद एक मंत्रालय सूत्र के हवाले से इकोनॉमीनेक्स्ट डॉट कॉम ने यह खबर दी थी कि सिरीसेना ने गठबंधन में शामिल साझेदार दल, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) पर अपनी और रक्षा मंत्रालय के पूर्व सचिव गोटाभाया राजपक्षे की हत्या की कथित साजिश को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है.
अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर एक मंत्री ने दावा किया कि राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत की विदेशी गुप्तचर एजेंसी 'रिसर्च एंड एनालिसिस विंगट (रॉ) इस साजिश के पीछे है. कैबिनेट प्रवक्ता रजीता सेनारत्ने ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में इन खबरों को खारिज कर दिया और इसे 'पूरी तरह असत्य' करार दिया.
सेनारत्ने ने कैबिनेट सचिव एस एबेंसिघे का एक बयान पढा, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने अपनी हत्या की साजिश रचे जाने के बारे में रॉ के खिलाफ कुछ नहीं कहा है. उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर 2018 को राष्ट्रपति सचिवालय में कैबिनेट बैठक के दौरान चर्चा किए गए विषयों पर प्रकाशित एवं प्रसारित खबरों पर कैबिनेट मंत्रियों के प्रमुख के तौर पर राष्ट्रपति ने ध्यान दिया. इस बात पर जोर दिया गया कि वे खबरें पूरी तरह से असत्य हैं.
सेनारत्ने ने कहा कि श्रीलंका में भारत सरकार या भारतीय कंपनियों द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से जुड़ा कोई कैबिनेट पत्र उस बैठक का हिस्सा नहीं था. राष्ट्रपति ने इस बारे में ब्योरा नहीं दिया कि भारत इस साजिश में कैसे शामिल था.
खबर में कहा गया था कि सिरीसेना चीन संचालित कोलंबो इंटरनेशनल कंटेनर र्टिमनल (सीआईसीटी) के पास र्टिमनल विकसित करने के लिए भारत को इजाजत देने के खिलाफ हैं. सिरीसेना ने इससे पहले कहा था कि दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा चीन को पहले ही पट्टे पर दिया जा चुका है. ऐसे में कोलंबो बंदरगाह में भारत को शामिल करना किसी आकस्मिक स्थिति में श्रीलंका के हित में नहीं होगा.
और पढ़ें- #MeToo पीएम मोदी ने अकबर का इस्तीफा किया स्वीकार, कांग्रेस और महिला पत्रकारों ने कही यह बात
बहरहाल, कैबिनेट प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि सिरीसेना ने भारत के साथ पूर्वी बंदरगाह र्टिमनल के विकास की परियोजना का विरोध नहीं किया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोलंबो बंदरगाह में पूर्वी र्टिमनल विकसित करने के लिए श्रीलंका को अपनी सहमति दी थी.
Source : News Nation Bureau