Sri Lanka Crisis : श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. यहां पर हालात बेहद नाजुक स्थिति में पहुंच चुके हैं. इस बीच लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने पीएम को छोड़कर वर्तमान सरकार के सभी मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया. उन्होंने सभी दलों से राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने की अपील की थी. मगर इस अपील को विपक्ष ने खारिज कर दिया है. दो मुख्य विपक्षी दलों के 54 सांसदों के साथ यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और तमिल नेशनल एलायंस, जिसमें 14 सांसद उत्तरी और पूर्वी तमिलों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका भारत के साथ घनिष्ठ संबंध है, ने कैबिनेट में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति के निमंत्रण को ठुकरा दिया है. श्रीलंकाई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कानून नहीं तोड़ने की चेतावनी दी, गिरफ्तारी के लिए वीडियो फुटेज की समीक्षा की.
विपक्ष ने इस संकट के लिए राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है. इसके साथ ही जनता ने भी राष्ट्रपति के खिलाफ मोर्चा संभाला लिया है. सोमवार को रातभर जनता राष्ट्रपति भवन के बाहर डटी रही. इस दौरान राष्ट्रपति भवन के बाहर बड़ी संख्या में तैनात सुरक्षा बलों ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागे. गौरतलब है कि 1948 में मिली आजादी के बाद श्रीलंका इस वक्त सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रही है .
देश में लगा हेल्थ इमरजेंसी
आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका इस समय जीवन रक्षक दवाइयों की कमी से जूझ रहा है. हालात इतने ज्यादा खराब हो चुके हैं कि सरकार ने मंगलवार को देश में हेल्थ इमरजेंसी (Health Emergency) का ऐलान कर दिया. सरकार ने यह फैसला सरकारी मेडिकल ऑफिसर्स की इमरजेंसी मीटिंग के बाद लिया. दरअसल, देश में दवाइयों की किल्लत के बाद सरकारी मेडिकल ऑफिसर्स की आपात बैठक में सरकार से अनुशंसा की गई थी कि दवाइयों की कमी को देखते हुए देश में मेडिकल इमरजेंसी कानून को लागू किया जाए.
HIGHLIGHTS
- श्रीलंकाई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कानून नहीं तोड़ने की चेतावनी दी
- विपक्ष ने राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है