श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर ( Sri Lankan Presidential Secretariat ) के बाहर सशस्त्र सैनिकों की भारी तैनाती की गई है. कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों ने सचिवालय के बाहर बैरिकेडिंग की। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा कर्मियों के बीच टकराव भी हुआ. एक प्रदर्शनकारी ने बताया, "रानिल विक्रमसिंघे हमें खत्म करना चाहते हैं और वे फिर से ऐसा कर रहे हैं। हम हार नहीं मानेंगे। हम अपने देश को इस गंदी राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं।" प्रदर्शनकारियों के खतरे को देखते हुए कोलंबो में श्रीलंकाई राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों द्वारा प्रदर्शनकारियों के टेंट को हटाया गया। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के ख़िलाफ़ प्रदर्शन तेज होने के साथ ही गाले फेस पर प्रदर्शनकारी जमा हुए।
जानकारी के अनुसार श्रीलंका में सशस्त्र बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर देर रात कार्रवाई की गई। सशस्त्र बलों द्वारा कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर और गाले फेस पर जमा हुए प्रदर्शनकारियों के तंबुओं का हटाया गया। इससे पहले 'गोटाबाया राजपक्षे को श्रीलंका से बाहर निकलने में भारत द्वारा मदद की अफवाहों' पर श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने कहा कि इस बात में कोई सत्य नहीं है। श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने जो फैसला लिया वो उनका अपना फैसला था। इसका हमसे किसी भी तरह का कोई लेना-देना नहीं है. श्रीलंका हमारा सबसे निकटतम समुद्री मित्र है तो इसलिए श्रीलंका के लोगों को जब मदद की जरूरत है और उन्होंने भारत से मदद मांगी है तब भारत ने भी बड़ी तत्परता से उनकी ऐसी मदद की है, जो भारत ने अभी तक किसी भी देश की नहीं की है.
Source : News Nation Bureau