संकट में घिरे श्रीलंका ने कहा है कि वह पिछले 70 वर्षों में सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच अपने विदेशी कर्ज को चुकाने में अस्थायी रूप से नाकाम रहेगा. अधिकारियों ने कहा कि कोविड -19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव ने द्वीप राष्ट्र के लिए अपने लेनदारों को भुगतान करना 'असंभव' बना दिया है. श्रीलंका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं क्योंकि उसे भोजन की कमी, आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और बिजली की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
आईएमएफ से बातचीत करेगा श्रीलंका
श्रीलंका अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अगले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ ऋण कार्यक्रम पर बातचीत शुरू करने वाला है. श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से यह उसके बकाया का भुगतान करने का एक 'बेदाग रिकॉर्ड' है. हालांकि हाल की घटनाओं ने श्रीलंका की वित्तीय स्थिति को खराब कर दिया है, जिसके कारण बाहरी सार्वजनिक ऋण दायित्वों की सामान्य सेवा जारी रखना असंभव होता जा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि आईएमएफ ने पिछले महीने श्रीलंका के कर्ज को अस्थिर होने का आकलन किया था.
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देश भर में जनता सड़कों पर उतरी
उन्होंने कहा, 'हालांकि सरकार ने अपने सभी बाहरी ऋणग्रस्तता पर बने रहने के प्रयास में असाधारण कदम उठाए हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि यह अब एक टिकाऊ नीति नहीं है. इन दायित्वों के व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता होगी.' हाल के हफ्तों में प्रदर्शनकारी कोलंबो की सड़कों पर उतर आए हैं, क्योंकि घरों और व्यवसायों में लंबे समय तक बिजली कटौती हुई है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ के साथ एक बेलआउट पर बातचीत से पहले पिछले महीने देश में अपनी मुद्रा का तेजी से अवमूल्यन या डिवैल्यू ऑफ करेंसी करने के बाद श्रीलंकाई लोगों को आवश्यक चीजों की कमी और बढ़ती मुद्रास्फीति (महंगाई) का सामना करना पड़ रहा है.
HIGHLIGHTS
- ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका
- विदेशी कर्ज चुकाने में अस्थायी रूप से रहेगा नाकाम
- जरूरी चीजों की कमी से सरकार के खिलाफ गुस्सा