श्रीलंका (Sri Lanka) में रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद सेना और प्रदर्शनकारी फिर आमने-सामने आ गए हैं. शुक्रवार को रानिल (Ranil Wickremesinghe) के मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण होना है, लेकिन उसके पहले ही सेना राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर डटे प्रदर्शनकारियों को हटाने पहुंच गई. इस कारण शुक्रवार तड़के कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय के पास गॉल फेस में हालात तनावपूर्ण हो गए. प्रदर्शनकारियों (Protestors) को हटाने पहुंची पुलिस और सेना ने प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़ दिए. वहां लगे बैरिकेड्स भी हटा दिए, जिसके बाद कई प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प भी देखने को मिली. इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया. गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी लगभग बीते साढ़े तीन माह से तंबू गाड़ यहां से अपना विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे.
प्रदर्शनकारियों को पहले ही चैतावनी दे चुके थे रानिल
गौरतलब है कि रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को ही चेतावनी दे दी थी कि अलोकतांत्रिक ढंग से सरकार विरोध की किसी भी कार्यवाही से कड़ाई से निपटा जाएगा. रानिल के ऊपर राजपक्षे परिवार से नजदीकी का आरोप भी लगता आया है. इस बात की आशंका पहले भी जताई गई रानिल के राष्ट्रपति बनते ही प्रदर्शनकारियों का दमन शुरू कर दिया जाएगा. यह आरोप शुक्रवार तड़के भी लगे जब प्रदर्शनकारियों ने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे प्रदर्शनकारियों को तबाह करना चाहते हैं और इसकी कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद हम हार नहीं मानेंगे. हम अपने देश को घटिया राजनीति से मुक्त करना चाहते हैं.
#WATCH | Sri Lanka: Armed soldiers deployed in a bid to control the protestors, who've been protesting against the new Sri Lankan President Ranil Wickremesinghe, outside the premises of the Sri Lankan Presidential Secretariat in Colombo pic.twitter.com/OAJBaeQ5GF
— ANI (@ANI) July 21, 2022
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बद् से बद्तर हो रहे हालात
गौरतलब है कि सीक्रेट वोटिंग में श्रीलंका की 225 सदस्यों वाली संसद में रानिल विक्रमसिंघे के पक्ष में 134 वोट पड़े. उनके विरोधी दुल्लास अलहप्परुमा को 82, वामपंथी नेता अनुरा कुमार दिसनायके को मात्र 3 वोट मिले. रानिल को ऐसे समय देश की कमान संभालनी पड़ी है, जब श्रीलंका ऐतिहासिक मंदी के साथ-साथ गंभीर राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. महंगाई आसमान छू रही है. जरूरी चीजों मसलन ईंधन तक विदेशी मुद्रा भंडार नहीं होने से कमी हो गई है. लोगों को कई-कई दिन लाइन में लगने के बाद रसोई गैस का एक सिलेंडर मिल पा रहा है. इन्हीं सब कारणों से राजपक्षे सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे थे, जिसके बाद गोटाबाया और महिंदा को इस्तीफा देना पड़ा था. पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश से भागने के बाद हुए राष्ट्रपति चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे जीत कर आए हैं.
HIGHLIGHTS
- राष्ट्पति सचिवालय के पास डटे प्रदर्शनकारियों पर शुक्रवार अल सुबह कार्रवाई
- सेना ने साढ़े तीन माह से डटे प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़े, बैरिकेड्स हटाए
- रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल को आज ही लेनी है शपथ, उसके पहले तनाव