इस्राइल और हमास के बीच युद्ध जारी है. इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने भी फलस्तीन के लिए श्रीलंका के समर्थन को दोहराया है. विक्रमसिंघे ने कहा कि वर्तमान में हमारे आर्थिक हालात ठीक नहीं है पर सरकार ने गाजा के बच्चों के लिए दस लाख डॉलर इकट्ठे किए हैं. उन्होंने कहा कि फलस्तीन और इस्राइल के बीच जारी संघर्ष के बीच श्रीलंका ने कभी अपना रुख नहीं बदला. हम हमेशा अपने बयान पर तटस्थ रहे कि संघर्ष में नागरिकों की हत्या हर हाल में बंद होनी चाहिए. उन्होंने अगले पांच वर्षों में एक अलग फलस्तीनी राज्य स्थापित करने की बात कही. उन्होंने कहा इस्राइल की सुरक्षा चिंताओं के साथ-साथ फलस्तीन की परेशानियों का हल भी आवश्यक है. उनकी परेशानी का समाधान ढूंढा जाना चाहिए.
सात अक्तूबर से जारी है युद्ध
बता दें, इस्राइल और हमास के बीच बीच सात अक्टूबर से युद्ध हो रहा है, जब अलसुबह हमास ने पांच हजार रॉकेटों से इस्राइली शहरों पर हमला कर दिया था. हमले को इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आतंकी हमला करार दिया. वे कई बार कमस खा चुके हैं कि जब तक वे हमास को पूर्ण रूप से तबाह नहीं कर देते हैं तब तक युद्ध विराम की घोषणा नहीं करेंगे. युद्ध में अब तक 37 हजार से अधिक फलस्तीनियों की मौत हो गई. इनमें अधिकतर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग नागरिक हैं.
स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड फलस्तीन को दे चुके हैं मान्यता
बता दें, पिछले माह स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड ने फलस्तीन राज्य को औपचारिक रूप से मान्यता दी. स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज ने कहा था कि यह ऐतिहासिक कदम है. इस कदम का उद्देश्य साफ है कि इस्राइली और फलस्तीनी नागरिक शांति से रहें. वहीं, आयरलैंड के प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने कहा था कि हमारे इस फैसले से दुनिया में संदेश जाएगा कि आप भी इस तरह से दो राज्य समाधान के लिए कदम उठा सकते हैं. बता दें, स्पेन, नॉर्वे और आयरलैंड के अलावा, ईयू के माल्टा और स्लोवेनिया ने भी दो राज्य समाधान की पुष्टि की. उनका कहना है कि वे भी ऐसा कर सकते हैं पर अभी नहीं. बता दें, संयुक्त राष्ट्र के 190 से अधिक देशों में से करीब 140 देश पहले ही फलस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता दे चुके हैं.
Source : News Nation Bureau