खुफिया सूत्र जैसी आशंका जता रहे थे, वह सही निकली. रविवार को श्रीलंका में हुए श्रंखलाबद्ध बम धमाके वास्तव में क्राइस्टचर्च की मस्जिदों में हुई गोलीबारी का बदला लेने के लिए किए गए थे. इसके संकेत बम धमाकों की शुरुआती जांच में मिले हैं. अंतरराष्ट्रीय खुफिया सूचनाओं ने श्रीलंका सरकार को पहले ही आगाह किया था कि सीरिया से संबंध रखने वाला तौहीद जमात नामक संगठन श्रीलंका में चर्च समेत भारतीय दूतावास को उड़ाने की साजिश कर रहा है.
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अब मंगलवार को श्रीलंका के उप रक्षा मंत्री रुवान विजयवर्धने ने संसद में इस बात को स्वीकार किया है कि श्रंखलाबद्ध बम धमाकों की शुरुआती जांच से पता चल रहा है कि इस्लामी आतंकी संगठन ने न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हुई गोलीबारी को बदला लेने के लिए कोलंबो में बम धमाके किए. गौरतलब है कि मार्च में क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में की गई गोलीबारी में 50 से ज्यादा मुस्लिम मारे गए थे. हमलावर ने इस गोलीबारी को फेसबुक पर लाइव प्रसारित किया था.
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मंगलवार को श्रीलंका संसद में विजयवर्धने ने बताया कि श्रीलंका में हुए बम धमाकों में अब तक 321 लोग मारे गए हैं. 38 विदेशियों में 10 भारतीय भी मृतकों में शामिल हैं. हालांकि संसद में एक बार फिर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना की खाई देखने में आई. उप रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि ग्यारह दिन पहले आई संभावित आतंकी सूचनाओं को प्रधानमंत्री के साथ साझा नहीं किया गया.
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यह अलग बात है कि श्रीलंका संसद में उप रक्षा मंत्री की इस स्वीकारोक्ति को सामरिक मामलों के विशेषज्ञों ने खारिज कर दिया है. उनका तर्क है कि श्रीलंका के श्रंखलाबद्ध धमाकों में जिस तरह की कार्यप्रणाली अपनाई गई, वह फौरी तर पर किया काम नहीं हो सकता. इसके लिए सटीक योजना और रेकी की जरूरत होती है. फिर क्राइस्टचर्च हमले भी महज पांच हफ्ते पहले ही हुए हैं. ऐसे में इतनी जल्दी इतने बड़े स्तर पर बदला नहीं लिया जा सकता है.
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गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय खुफिया सूचनाओं के मुताबिक श्रीलंका के श्रंखलाबद्ध बम धमाकों के पीछे गहरी साजिश थी, जिनका मकसद श्रीलंका का सामाजिक ताना-बाना बिगाड़ न सिर्फ उसे अस्थिर करना था, बल्कि आर्थिक तौर पर भी उसे कमजोर बनाना था. संभवतः यही वजह है जो श्रीलंका सरकार ने इस आतंकी हमले के जिम्मेदार संगठन के नाम का तो खुलासा कर दिया है, लेकिन पकड़े गए संदिग्धों के नाम जांच पूरी होने तक उजागर नहीं कर रही है. यही नहीं, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना के आपसी तनाव से भी देश एक बार फिर नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है.
Source : News Nation Bureau