चीन ने 'वन-चाइना पॉलिसी' पर भारत का समर्थन मांगा है, जिसके बदले भारत ने चीन से पाक अधिकृत कश्मीर के प्रोजेक्ट्स और सीपीईसी को रोकने की सलाह दी है।
भारत का मानना है कि पीओके में चीन की उपस्थिति से उसकी संप्रभुता का उल्लंघन होता है।
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार इसके साथ ही भारत ने कहा है कि सीपीईसी को लेकर भारत की चिंताओं के संबंध में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। जिसके कारण ही भारत चीन के वन बेल्ट, वन रोड परियोजना का समर्थन नहीं कर रहा है।
चीन की वन-चाइना पॉलिसी के तहत सिर्फ पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता दी जाती है और ताइवान या रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता नहीं दी जाती। भारत ने 2010 के बाद से अभी तक आधिकारिक तौर पर चीन की इस नीति पर कुछ नहीं कहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग की 9 जून को होने वाली इस साल की दूसरी मुलाकात के पहले चीन ने भारत से कहा है कि उसकी वन-चाइना पॉलिसी को स्वीकार करने से दोनों देशों के बीच के आपसी विश्वास को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि ये मुद्दा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स की मीटिंग के दौरान हुई बातचीत में भी उठा था।
चीन के पूर्व प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की दिसंबर 2010 में हुई भारत यात्रा के दौरान वन-चाइना पॉलिसी की पुष्टि न करते हुए भारत और चीन का पहला संयुक्त बयान यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के दौरान जारी किया गया था।
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चीन की जम्मू-कश्मीर के निवासियों को चीन की यात्रा के लिए पासपोर्ट पर स्टेपल्ड वीजा जारी करने के विरोध में भारत ने वन-चाइना पॉलिसी को मानने से इनकार कर दिया था।
मोदी सरकार बनने के बाद सरकार की इसी नीति को जारी रखा गया। तबतक चीन ने सीपीईसी के निर्माण का भी फैसला ले लिया था।
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Source : News Nation Bureau