अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शिया-हाजरा बाहुल्य इलाके में आज सुबह एक स्कूल पर आत्मघाती आतंकी हमला हुआ. इसमें कम से कम 24 लोगों के मारे जाने की खबर है, जिनमें अधिसंख्य संख्या छात्रों की बताई जा रही है. दर्जनों अन्य के घायल होने की जानकारी भी सामने आ रही है. काबुल पुलिस के प्रवक्ता खालिद जदरान के मुताबिक स्थानीय समयानुसार सुबह 7.30 शिया हाजरा बाहुल्य इलाके दश्ते बारची स्थित काज स्कूल में एक आत्मघाती हमलावर में खुद को उड़ा लिया. एक ट्विटर पोस्ट में एनजीओ अफगान पीस वॉच ने दावा किया है कि हमलावर ने छात्रों के बीच पहुंच कर खुद को बम से उड़ाया. फिलहाल पुलिस ने और जानकारी देने से इंकार कर दिया है, लेकिन माना जा रहा है आत्मघाती आतंकी हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत का हाथ है, जिसके निशाने पर अल्पसंख्यक शिया-हाजरा समुदाय के लोग हैं.
तालिबान शासन के एक साल पूरा होने पर आतंकी हमलों में तेजी
यह आत्मघाती हमला काबुल के वजीर अकबर खान इलाके में हुए हमले के कुछ दिन बाद हुआ है. इसके बाद काबुल स्थित रूसी दूतावास के बाहर भी एक आतंकी हमला हुआ था, जिसकी विश्व भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी. तालिबान के अफगानिस्तान पर दोबारा शासन के एक साल पूरा होने पर इस तरह के आतंकी हमलों में तेजी आई है. हालांकि अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन माना जा रहा है कि इसके पीछे भी इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत का हाथ है, जो तालिबान की कट्टर प्रतिद्वंद्वी है. इसकी वजह यही है कि काज स्कूल अल्पसंख्यक शिया-हाजरा समुदाय के इलाके में स्थित है. आईएस-केपी इसके पहले भी दश्ते बारची में कई आतंकी हमले कर चुका है. हमले के बाद तालिबान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी ताकोर ने बताया कि उनकी टीम घटनास्थल पर पहुंच आगे की जांच कर रही है.
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अस्पताल सूत्रों ने मृतक संख्या बढ़ने की जताई आशंका
घायलों को अली जिनाह अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में ले जाया गया है. जिनाह अस्पताल के डॉक्टर अब्दू गयास मोहम्मद के मुताबिक हमले में कम से कम 24 लोग मारे गए और 36 घायल हुए हैं. हताहतों में अधिकांश संख्या छात्राओं की है. आतंकी हमले के एक प्रत्यक्षदर्शी तैयबा मेहतारेखिल के मुताबिक हमले में ज्यादातर छात्राओं की मौत हुई है. गौरतलब है कि अल्पसंख्यक शिया-हाजरा समुदाय को निशाना बना कर हो रहे आतंकी हमलों ने तालिबान के खिलाफ स्थानीय स्तर पर आक्रोश भरना शुरू कर दिया है. अल्पसंख्यक समुदाय का आरोप है कि तालिबान उनके समुदाय को सुरक्षा कराने में विफल साबित हुआ है. अस्पताल सूत्रों को कहना है कि मृतक संख्या और बढ़ सकती है.
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तालिबान महिलाओं-लड़कियों पर ढा रहा जुल्म
गौरतलब है कि बीते साल अगस्त में काबुल पर दोबारा कब्जे के बाद तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों पर कड़ी पाबंदियां लागू की हैं. यही नहीं तालिबान मीडिया को डरा-धमका कर ऐसी घटनाओं का कवरेज करने से रोक रहा है. लोगों को जबरन हिरासत में लेकर यातनाएं दी जा रही हैं. इसको लेकर वैश्विक बिरादरी भी तालिबान शासन की आलोचना कर रही है. खासकर मानवाधिकारों के लगातार उल्लंघन के सिलसिले में. इस एक साल में तालिबान अल्पसंख्यक शिया-हाजरा समुदाय को नजरअंदाज कर रहा है, तो इस्लामि स्टेट खुरासान प्रांत उन्हें लगातार निशाना बना रहा है. दश्ते बारची में इसके पहले आईएसकेपी के दो आतंकी हमलों में कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था.
HIGHLIGHTS
- अल्पसंख्यक शिया-हाजरा बाहुल्य इलाके दश्ते बारची में हुआ हमला
- इसके पहले भी इसी इलाके में आईएस-केपी कर चुका है कई हमले
- अस्पताल के सूत्रों की मानें तो हमले में 36 से ज्यादा लोग हुए हैं घायल