हर तरफ डांट-फटकार से निराश के बाद हताश पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने पुराने दागी मुनीर अकरम पर दांव लगाया है. मुनीर अकरम को संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि बनाया गया है, जो पाकिस्तान की फजीहत करा चुकीं मलीहा लोधी का स्थान लेंगे. मुनीर अकरम दूसरी बार यह जिम्मेदारी संभालेंगे. इससे पहले परवेज मुशर्रफ के समय में भी उन्हें यही जिम्मेदारी दी गई थी. मुनीर अकरम का अतीत विवादों से भरा हुआ है. 2003 में परवेज मुशर्रफ ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि बनाया था. तब मुनीर अकरम ने अपनी गर्लफ्रेंड पर हमला किया था. गर्लफ्रेंड ने करीब आधी रात को अमेरिकी पुलिस को बुला लिया था. आसिफ अली जरदारी के राष्ट्रपति बनने पर मुनीर को उनके पद से हटा दिया गया था.
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राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी रहे मुनीर अकरम ने कराची विश्वविद्यलाय से M.A. किया. 1968 में सेंट्रल सुपीरियर सर्विस की परीक्षा (भारत की सिविल सर्विस परीक्षा के समकक्ष) पास कर वे 1969 में विदेश सेवा में आए. यूएन में सेकेंड सेक्रेटरी के तौर पर उनकी पहली पोस्टिंग हुई. 1995 में वे UNO जेनेवा ऑफिस में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि बने. 2003 में राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उन्हें न्यूयॉर्क स्थित यूएन ऑफिस में स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया था.
दिसंबर 2002 में रात 1:36 बजे न्ययॉर्क पुलिस को एक महिला 35 साल की मरिजाना मिहिक ने फोन कर शिकायत की कि एक शख्स ने उसके साथ मारपीट की थी. वह शख्स कोई और नहीं, बल्कि मुनीर अकरम निकले, लेकिन राजदूत होने के चलते पुलिस ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. इस घटना से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी बेइज्जती हुई थी.
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न्यूयॉर्क पुलिस ने पाकिस्तान सरकार से मुनीर अकरम की डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी खत्म करने की मांग की थी, ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके. हालांकि बाद में यह मामला कोर्ट में सुलझा लिया गया था. तब पाकिस्तान दो सालों के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था. उस समय इराक और उत्तर कोरिया संकट पर गंभीरता से चर्चा में भाग लेने के बदले मुनीर यूरोपियन लड़की के साथ अफेयर में फंस गए थे.
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पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता और पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने मुनीर अकरम को यूएन से बाहर का रास्ता दिखा दिया. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, आसिफ अली जरदारी बेनजीर भुट्टो की हत्या का मामला यूएन में ले जाना चाहते थे, लेकिन मुनीर अकरम इससे सहमत नहीं थे. लिहाजा उनकी छुट्टी कर दी गई.
मुनीर अकरम कश्मीर पर आक्रामक रुख के लिए जाने जाते रहे हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद एक लेख के माध्यम से उन्होंने कहा था, अब हुर्रियत की बजाय हिज्बुल जैसे संगठनों को कश्मीर में लड़ाई शुरू करनी चाहिए.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो