अफगानिस्तान में तालिबान के रूप में पाकिस्तान को सेर पर सवा सेर मिल गया है. एक तरफ प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके बड़बोले विदेश मंत्री शाह शाह महमूद कुरैशी तालिबान सरकार के लिए दुनिया से समर्थन मांग रहे हैं. दूसरी तरफ तालिबान ने डूरंड लाइन को मानने से इंकार कर दिया है. यही नहीं, सीमा पर बाड़बंदी करने आए पाकिस्तानी सैनिकों को भी रोक दिया है. बताते हैं कि बाड़बंदी रोकने के लिए तालिबान के लड़ाके पाकिस्तानी इलाके में तोपों से गोले बरसा रहा है. करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर तालिबान की पनाह में रह रहे तहरीक-ए-तालिबान के आतंकी लगातार पाकिस्तानी सैनिकों की जान ले रहे हैं.
टीटीपी के हमले में मारे गए दो पाकिस्तानी सैनिक
अफगानिस्तान के चर्चित पत्रकार बिलाल सरवरी ने स्थानीय लोगों के हवाले से बताया कि टीटीपी के एक हमले में 2 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई. इसके जवाब में पाकिस्तानी सेना ने अफगानिस्तान के कुनार इलाके में डूरंड लाइन पर जोरदार गोलाबारी शुरू कर दी. इसके जवाब में तालिबान के आतंकियों ने भी जवाबी कार्रवाई की और पाकिस्तानी सेना के दो सुरक्षा चौकियों पर तोप से गोले दागे. यह संघर्ष करीब 30 मिनट तक चला. बाद में एक बार फिर से दोनों ही तरफ से डूरंड लाइन पर गोलाबारी शुरू हो गई. ग्रामीणों के मुताबिक पाक सैनिकों पर गोलीबारी का आदेश कुनार प्रांत के तालिबानी गवर्नर ने दिया था. स्थिति यहां तक आ पहुंची थी कि तालिबान ने दंगाम में अतिरिक्त सेना भेजनी पड़ी. बताते हैं कि दोतरफा गोलाबारी में कई गांव में भी चपेट में आ गए.
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विपक्ष के निशाने पर आए इमरान खान
इस बीच पाकिस्तानी सेना पर तालिबानी हमले के बाद इमरान खान विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं. सीनेट के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता रजा रब्बानी ने इमरान खान नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया कि जब अफगान तालिबान पाकिस्तान के साथ लगती सीमा को मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है, तो ऐसे में उसकी मदद करने की क्या जल्दी है. अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला ख्वारजमी ने कहा कि तालिबान बलों ने पाकिस्तानी सेना को पूर्वी प्रांत नंगरहार के पास सीमा पर 'अवैध' तारबंदी से रोक दिया.
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ऐसे नाम पड़ा डूरंड रेखा
पूर्व में अमेरिका समर्थित शासन सहित अफगानिस्तान की सरकार का सीमा पर विवाद रहा है और यह ऐतिहासिक रूप से दोनों पड़ोसियों के बीच एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है. सीमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डूरंड रेखा के रूप में जाना जाता है. इसका नाम ब्रिटिश नौकरशाह मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया, जिन्होंने 1893 में तत्कालीन अफगान सरकार के साथ परामर्श के बाद ब्रिटिश इंडिया की सीमा तय की थी.
HIGHLIGHTS
- डूरंड रेखा को लेकर तालिबान और पाक सेना आमने-सामने
- तालिबान ने पाकिस्तान को सीमा पर बाड़बंदी से रोका
- विवाद बढ़ने पर पाकिस्तानी इलाकों में बरसाए गोले