अफगानिस्तान (Afghanistan) में बीते साल लगभग दो दशकों बाद कब्जा करने वाले तालिबान (Taliban) को परोक्ष समर्थन करने के पीछे चीन की मंशा अब दुनिया के सामने आने लगी है. हालांकि उस वक्त भी कहा जा रहा था कि चीन (China) के काबुल में अपने दूतावास को बंद नहीं करने के निहित स्वार्थ हैं. चीन की मंशा अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) का भरपूर दोहन करने की है. आज जब वैश्विक समुदाय तालिबान की इस्लामिक अमीरात सरकार को मान्यता नहीं देकर उसकी आर्थिक दुश्वारियों को बढ़ा रहा है, तो फिर से चीन उसका तारणहार बनकर सामने आया है. टोलो न्यूज के अनुसार तालिबान ने चीनी कंपनी झिंजियांग सेंट्रल एशिया पेट्रोलियम एंड गैस के साथ एक समझौता किया है. इसके तहत चीन की इस कंपनी को उत्तरी अफगानिस्तान के अमु दरिया बेसिन में तेल निकालने (Crude Oil) का ठेका मिल गया है.
चीनी कंपनी से तीन साल के लिए 450 मिलियन डॉलर का सौदा
इस सौदे को अमली-जामा पहनाने के दौरान अफगानिस्तान में चीनी दूत वांग यू और अमीरात सरकार में उप प्रधानमंत्री और आर्थिक मामलों के कार्यवाहक मंत्री अब्दुल गनी बरादर सहित तालिबान के अन्य शीर्ष कमांडर भी उपस्थित रहे. तालिबान सरकार के खनन और पेट्रोलियम मंत्री शहाबुद्दीन देलावर ने कहा कि पहले तीन साल तेल की खोज के होंगे और इस अवधि में 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया जाएगा. शहाबुद्दीन देलावर के मुताबिक, 'इस अवधि में तीन प्रांतों सर-ए-पुल, जावजान और फरयाब के 4,500 वर्ग किलोमीटर में तेल उत्पादन का काम होगा. उम्मीद है कि कम से कम 1,000 से 20,000 टन तेल हर रोज निकाला जाएगा.' बरादर ने सौदे पर हस्ताक्षर के दौरान चीन की कंपनी से तेल निकालने के लिए आवश्यक मानदंडों को लागू करने का अनुरोध भी किया.
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तालिबान की हिस्सेदारी 75 फीसदी तक होगी
खामा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार फरयाब, जावजान और सर-ए पोल के उत्तरी प्रांतों में तेल का उत्पादन प्रतिदिन 1,000 टन से शुरू होगा.
तालिबान प्रबंधित प्रशासन की शुरुआत में इस परियोजना में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया जाएगा. अफगान समाचार एजेंसी ने कहा कि तालिबान सरकार को इस परियोजना से 3,000 नौकरियों के अवसर सामने आने की उम्मीद है. तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद यह पहला सौदा है. अगस्त 2021 में इस्लामिक संगठन के अधिग्रहण के बाद से तालिबान शासित अफगानिस्तान में विदेशी निवेश लगभग शून्य है. तालिबान देश में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए हर एक दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. यह तब है जब ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार तालिबान सरकार एक बार फिर से कट्टर शरिया नियम-कायदों को लागू कर रही है. गौरतलब है कि तालिबान ने सभी महिलाओं को सिविल सेवा में पदों से बर्खास्त कर दिया और अधिकांश प्रांतों में लड़कियों को स्कूल और उच्च संस्थानों में जाने से रोक दिया है. एनजीओ में भी महिलाओं के काम करने से रोक लगा दी है.
HIGHLIGHTS
- चीनी कंपनी को मिला अमु दरिया बेसिन से तेल निकालने का ठेका
- चीनी कंपनी हर साल 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर करेगी निवेश
- इस सौदे में तालिबान की हिस्सेदारी 20 से बढ़ 75 फीसदी हो जाएगी