मीडिया ने अमेरिकी अधिकारियों का हवाला देते बताया कि तालिबान (Taliban) सरकार ने 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के दौरान काबुल हवाई अड्डे पर भीषण आत्मघाती (Suicide Attack) हमले के कथित मास्टरमाइंड को मार गिराया है. 26 अगस्त 2021 को तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से निकलने की कोशिश में हवाईअड्डे पर खचाखच भरी भीड़ के बीच आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा दिया था. इस हमले में लगभग 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे. यह आत्मघाती हमला हालिया वर्षों में अफगानिस्तान (Afghanistan) में सबसे घातक हमलों में से एक था. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के फैसले के बाद लगभग 20 साल बाद अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से वापसी कर रहे थे. जो बाइडन (Joe Biden) को हालांकि अपने इस फैसले को लेकर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पोलिटिको को बताया कि आत्मघाती हमले की योजना बनाने वाले इस्लामिक स्टेट (ISIS) सेल के नेता को तालिबान ने मार गिराया.
मारे गए सैनिकों के परिजनों को सूचना नहीं मिलने तक रोके रखी हमलावर के मारे जाने की घोषणा
अधिकारी ने पोलिटिको को बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस हमले में शामिल नहीं था. साथ ही मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हमले का समय और मारे गए आईएस सदस्य की पहचान को उजागर भी नहीं करेगा. हालांकि अधिकारी ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय इस्लामिक स्टेट खुरासान का जिक्र करते हुए कहा कि हमले का लक्ष्य वह व्यक्ति था जो प्रमुख साजिशकर्ता था. गौरतलब है कि आईएसआईएस-खुरासान मॉड्यूल हाल-फिलहाल अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है. अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी खुफिया संस्था हत्या की पुष्टि करने के लिए काम कर रही है. बाइडन प्रशासन ने हमलावर के मारे जाने की घोषणा हमले में शहीद हुए 13 अमेरिकी सैनिकों के परिवारों को सूचित करने तक रोके रखी थी. वरिष्ठ अधिकारी ने पोलिटिको को बताया, 'हम तालिबान के साथ साझेदारी नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें लगता है कि अंतिम परिणाम महत्वपूर्ण है.'
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आईएसआईएस तालिबान के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती
30 अगस्त 2021 को समग्र अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी से पहले ही तालिबानी लड़ाकों ने कुछ ही हफ्तों में पश्चिमी-प्रशिक्षित अफगान बलों को हटा दिया था. इससे बचे-खुचे अमेरिकी सैनिकों को काबुल के हवाई अड्डे से हताश निकासी के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके लिए एक अभूतपूर्व सैन्य एयरलिफ्ट ऑपरेशन चलाया गया, जिससे कुछ ही दिनों में 120,000 से अधिक लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की गई. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान छोड़ने के अपने फैसले का लंबे समय से बचाव किया है. फिर भी आलोचकों का कहना है कि अमेरिकी सेना की वापसी अफगान बलों के विनाशकारी पतन का कारण बनी और दो दशक बाद तालिबान का सत्ता में लौटने का मार्ग प्रशस्त हुआ. पेंटागन के लीक हुए दस्तावेजों का हवाला देते हुए हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका का मानना है कि वापसी के बाद से अफगानिस्तान इस्लामिक स्टेट समूह के लिए जंग का मैदान बन रहा है. गौरतलब है कि तालिबान और आईएस लंबे समय से अफगानिस्तान में हिंसक संघर्ष में शामिल हैं. विशेषज्ञों ने जिहादी समूह को नई अफगान सरकार के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती बताया है.
HIGHLIGHTS
- काबुल हवाई अड्डे के आत्मघाती हमलावर को तालिबान ने किया ढेर
- अफगानिस्तान के हालिया दौर के भीषण हमले में मारे गए थे 185 लोग
- पेंटागन की लीक दस्तावेज बताते हैं कि तालिबान के लिए आईएस बड़ा खतरा