जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने से पाकिस्तान की बौखलाहट चरम पर है. इस मसले का अंतरर्राष्ट्रीयकरण करने के उसके प्रयास परवान नहीं चढ़ पा रहे हैं. अमेरिका के बाद चीन तक ने जम्मू-कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को संयम बरतने की सलाह दे डाली है. हद तो यह हो गई है कि जिस तालिबान की मदद से पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंक के नए दौर की शुरूआत का ख्वाब देख रहा था, वह भी अब टूट गया है. तालिबान ने पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाते हुए दो-टूक कह दिया है कि वह क्षेत्रीय मुद्दों को शांति और तार्किक ढंग से समाधान करे. साथ ही यह भी कहने से गुरेज नहीं किया है कि अफगानिस्तान और कश्मीर दो अलग मसले हैं. इनमें कोई साम्य नहीं है.
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पाक सदन के संयुक्त सत्र में तालिबान को उकसाया था
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा 370 हटाए जाने के विरोध में पाकिस्तान ने संसद का संयुक्त सत्र बुलाया था. इस संयुक्त सत्र में भारत पर मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगा क्षेत्रीय शांति और संतुलन बिगाड़ने का प्रस्ताव पारित किया गया. इस संयुक्त सत्र में पाक संसद में विपक्षी दल के नेता शहबाज शरीफ ने कश्मीर और अफगानिस्तान की तुलना करते हुए कहा था, 'यह किस तरह की डील है कि अफगान काबुल में शांति और खुशहाली से रहें लेकिन कश्मीर में खून बहने दिया जाए? यह किसी भी तरह से हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है.'
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तालिबान ने इसपर जमकर सुनाई खरी-खोटी
इसके जवाब में कश्मीर के हालात से अफगानिस्तान की तुलना करने पर तालिबान ने पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई है. दुनिया के देशों से अफगानिस्तान को 'प्रतिस्पर्धा का मैदान' ना बनाने की अपील करते हुए तालिबान प्रवक्ता जाबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, कुछ पक्ष कश्मीर के मुद्दे को अफगानिस्तान से जोड़ रहे हैं लेकिन इससे वहां के संकट से निकलने में मदद नहीं मिलेगी क्योंकि अफगानिस्तान का मुद्दा कश्मीर से किसी भी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है.
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क्षेत्रीय मसले शांति से हल करने की दी सलाह
गुरुवार को जारी किए बयान में तालिबान ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए जिससे क्षेत्र में हिंसा और जटिलताओं का रास्ता खुल जाए. यही नहीं, तालिबान ने अपने बयान में कहा, हमें युद्ध और संघर्ष का बहुत कड़वा अनुभव रहा है इसलिए हम क्षेत्रीय मुद्दों को शांति और तार्किक तरीके से समाधान निकालने की अपील करते हैं.
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पाकिस्तान को तालिबान से मिला झटका
इस बीच, काबुल में पाकिस्तानी दूतावास ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे की वजह से अफगानिस्तान में शांति बहाली पर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा. पाकिस्तान के राजदूत जाहिद नसरुल्लाह खान के हवाले से एनाडोलू न्यूज एजेंसी ने लिखा, कश्मीर का मुद्दे का अफगानिस्तान में हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस समस्या का अभी तक समाधान नहीं हो सका है. गौरतलब है कि पाकिस्तान की सेना तालिबान की मदद से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के नए दौर की शुरुआत के प्रयासों में लगी है. इस लिहाज से तालिबान का हालिया रुख पाकिस्तान के लिए गहरा आघात है कि समझदार राष्ट्रों समेत आतंक के सिरमौर तालिबान ने भी उसे झटका दिया है.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान को तालिबान ने सुनाई जमकर खरी-खोटी.
- कहा-हर समस्या का समाधान हिंसा नहीं होती है.
- तार्किक समाधान तक की दे डाली सलाह.