पाकिस्तानी आर्मी आतंकवाद के खिलाफ 'जर्ब-ए-अज्ब' के नाम पर भले ही ऑपरेशन चला रही हो लेकिन इससे सबसे ज्यादा नुकसान वहां के मासूम पश्तून लोगों को हो रहा है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर बसे लोग पाक आर्मी के आतंक के कारण अफगानिस्तान के खोश्त में शरण ले रहे हैं। पश्तूनों का आरोप है कि आर्मी उन्हें खत्म करना चाहती है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में पश्तून लोगों ने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने कहा, '40 साल से वे जंग झेल रहे हैं। पाकिस्तान किसी न किसी वजह से उन्हें खत्म करने में लगा हुआ है। आर्मी और एयरफोर्स बिना किसी चेतावनी के बमबारी कर रही है।' बातचीत में उन्होंने कहा, 'आज न उनके पास खाने को खाना बचा न ही रहने को घर।'
खोश्त में रह रहे पश्तून शरणार्थी ने बताया, 'गांव अचानक किए गए हमले में तबाह हो चुके हैं। पाक आर्मी दावा कर रही है कि वे तालिबान के पीछे हैं और इस वजह से वो सब कुछ बर्बाद कर रहे हैं, जो उनके रास्ते में आ रहा है।'
पाक सरकार पर हमला बोलते हुए एक शरणार्थी ने कहा, 'आप जानते हैं कि ये कथित आतंकी कहां छिपे हैं और कहां से ऑपरेट कर रहे हैं। वे इस्लामाबाद और कराची में छिपे हुए हैं। वजीरिस्तान के लोग कभी आतंकियों के पक्षधर नहीं रहे हैं।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान-पाक सीमा पर उत्तरी वजीरिस्तान में पाक आर्मी 'जर्ब-ए-अज्ब' के नाम से 2014 में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। पाक आर्मी का कहना है कि उसने 3,500 आतंकवादियों को मार गिराया है। इस दौरान 537 सैनिक मारे गए हैं।