पाकिस्तान की मीडिया को धीरे-धीरे चीन ने अपने चंगुल में लेने की शुरुआत कर दी है. पाकिस्तान में और उसके जरिए दुनिया के बाकी देशों में चीन की बिगड़ती छवि को बेहतर बनाने का मकसद है. इसके छिपे एजेंडे में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार को लेकर इस्लामिक जगत में बेहद खराब चीन की इमेज को भी सुधारना है या बेहतर करना है. साथ ही वेस्टर्न मीडिया के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल किए जाने की योजना है. एक मीडिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है कि प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मिलकर चीन की शी जिनपिंग सरकार ने इसके लिए चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की तरह ही चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर बनाया है.
चीन की इस साजिश का खुलासा अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन टाइम्स की रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान के ग्वादर समेत कई शहरों में 20 दिन से हजारों लोग रोज चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया इसे लगातार कवरेज दे रहा है. इस वक्त चीन की साजिश का यह भांडाफोड़ इसलिए भी अहम हो गया है.
चीन के एहसानों तले दबा है बदहाल पाकिस्तान
रिपोर्ट के मुताबिक चीन की यह साजिश है कि पाकिस्तान के पूरे मीडिया पर कब्जा कर लिया जाए. इसके लिए इस साल सितंबर में चीन ने इमरान खान सरकार के साथ चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर ग्रुप बनाया है. चीन की पहली कोशिश पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया पर कब्जा करके अपनी छवि चमकाना है. इमरान खान की सरकार पाकिस्तान में महंगाई, विदेशी कर्ज और बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शनों से घिरी हुई है.चीन के एहसानों तले होने की वजह से भी वह उसका साथ दे रही है.
थिंक टैंक्स से जनता का मूड बदलने की साजिश
पाकिस्तान में चीन के राजदूत नॉन्ग रोंग ने इस बारे में कहा है कि हकीकत में दुनिया भर में पाकिस्तान और चीन दोनों ही प्रोपेगैंडा का शिकार हैं. इसलिए दोनों देशों के मीडिया ग्रुप्स का इसके खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करना जरूरी हो गया है. हम दोनों इसके जरिए सच को सामने ला सकते हैं. साथ ही जरूरतमंद लोगों को इंसाफ दिला सकते हैं. इससे दोनों ही देशों में स्थिरता और शांति आएगी. इसके लिए पाकिस्तान में इमरान सरकार का समर्थन करने वाले थिंक टैंक भी बनाए जा रहे हैं. बीते सप्ताह ऐसे एक थिंक टैंक में इमरान खान ने डेढ़ घंटे लंबा भाषण दिया था.
खोखला निकला चीन के राजदूत नॉन्ग रोंग का दावा
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राजदूत के खोखले दावों से उलट हकीकत ये है कि चीन अब पाकिस्तानी मीडिया के वॉचडॉग के तौर पर काम कर रहा है. पाकिस्तान की मीडिया में चीन के हिसाब से न्यूज कंटेंट, प्रजेंटेशन और सेंसरशिप जैसी चीजें तय हो रही हैं. वहां की जनता की प्रतिक्रियाओं को थिंक टैंक्स और दूसरी सरकारी मशीनरी के जरिए मॉनिटर कर रोका या कम किया जा रहा है. चीन इसके लिए इस्लामाबाद में अपने दूतावास को लैब की तरह इस्तेमाल होने दे रहा है. चीन के सरकारी मीडिया हाउस अब उर्दू में भी न्यूज और एनालिसिस दे रहे हैं. यह इन तथ्यों का सबसे बड़ा सबूत माना जा सकता है.
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पीएम इमरान खान के ऑफिस में नोडल एजेंसी
शिन्हुआ न्यूज एजेंसी, ग्वादर प्रो और चाइना ग्लोबल टीवी नेटवर्क ने उर्दू में भी न्यूज और एनालिसिस देने की शुरुआत कर दी है. प्रधानमंत्री इमरान खान के दफ्तर में इसके लिए नोडल एजेंसी बनाई गई है. इसमें इन्फॉर्मेशन मिनिस्ट्री और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर अथॉरिटी के अफसर शामिल हैं. इस साल जून में हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट में भी सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि चीन और पाकिस्तान अल-जजीरा टीवी या रूस के रशिया टीवी नेटवर्क की तर्ज पर चैनल शुरू करना चाहते हैं. इसके लिए नामी-गिरामी पत्रकारों को नौकरी पर रखा जाएगा और इसकी फंडिंग भी चीन करेगा.
HIGHLIGHTS
- चीन ने शुरू की पाकिस्तान की मीडिया को अपने चंगुल में लेने की शुरुआत
- चीन ने इमरान खान सरकार के साथ चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर ग्रुप बनाया
- पाकिस्तान की मीडिया में चीन के हिसाब से न्यूज कंटेंट, प्रजेंटेशन और सेंसरशिप