दक्षिण अफ्रीका में गुरु नानक के 550वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित चार महीने तक चले समारोह का समापन

जोहानिसबर्ग गुरुद्वारा साहिब के उपाध्यक्ष बलविंदर कालरा ने कहा, ‘ यह दक्षिण अफ्रीका में सिख धर्म के संदेश और अन्य समुदायों तक हमारी विशिष्ट पहचान पहुंचाने का तरीका था.’

author-image
Aditi Sharma
New Update
दक्षिण अफ्रीका  में गुरु नानक के 550वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित चार महीने तक चले समारोह का समापन

गुरु नानक देवजी( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में स्थित गुरुद्वारा साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर आयोजित चार महीने लंबे उत्सव का सप्ताहांत में तीन दिवसीय समारोह के साथ समापन हुआ. जोहानिसबर्ग में जुलाई में इसकी शुरुआत जरूरतमंदों को कम्बल बांट कर की गई, जिसके बाद खाने के पैकेट भी बांटे गए और इस दौरान कई सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन भी किया गया. जोहानिसबर्ग गुरुद्वारा साहिब के उपाध्यक्ष बलविंदर कालरा ने कहा, ‘ यह दक्षिण अफ्रीका में सिख धर्म के संदेश और अन्य समुदायों तक हमारी विशिष्ट पहचान पहुंचाने का तरीका था.’

यह भी पढ़ें: दलाईलामा बोले- भारत सहिष्णुता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, दुनिया को सीखना चाहिए

कालरा ने कहा, ‘कई स्थानीय लोग नियमित रूप से सफाई करने, लंगर बनवाने और सेवा के अन्य कार्य करने गुरुद्वारे में आते हैं.’ भारत में दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त जयदीप सरकार ने सिख समुदाय की सराहना की, जिसमें विशेष रूप से भारतीय प्रवासी और सिख शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘गुरु नानक ने कहा था कि आपको सामान्य और आध्यात्मिक जीवन जीना चाहिए, लेकिन सन्यासी ना बनें, महन्त ना बनें. इसीलिए सिखों की नृत्य, भांगड़ा और ढोल की संस्कृति केवल आपकी संस्कृति का नहीं बल्कि सभी भारतीयों का हिस्सा है.’

यह भी पढ़ें: 5 बेटों को खाना पड़ा अपने पिता का मांस, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

सरकार ने सिखों के साहस और बहादुरी का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कोई हैरानी नहीं है कि इतने सारे वीर शौर्य इस समुदाय से आते हैं. कालरा ने कहा कि गुरु नानक के 550वें प्रकाशोत्सव को बनाने के लिए शुरू की गई योजनाओं को गुरुद्वारे में जारी रखा जाएगा.

South Africa Guru Nanak Jayanti Prakashotsav 550th anniversary
Advertisment
Advertisment
Advertisment