व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैली मेकनैनी ने भारतीय दूतावास के बाहर महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनादर को स्तब्ध करने वाली घटना करार दिया और कहा कि उनकी प्रतिष्ठा का सम्मान होना चाहिए. भारत में नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में यहां सिख-अमेरिकी युवाओं ने शनिवार को प्रदर्शन किया था और इस दौरान खालिस्तानी अलगाववादियों ने अमेरिका में भारतीय दूतावास के बाहर स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनादर किया था.
मेकनैनी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस घटना संबंधी एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, 'यह निंदनीय है. किसी भी प्रतिमा या स्मारक का अनादर नहीं किया जाना चाहिए और खासकर गांधी जैसी शख्सियत की प्रतिमा के साथ तो ऐसा कतई नहीं होना चाहिए जो शांति, न्याय एवं स्वतंत्रता के उन मूल्यों के लिए लड़े, जिनका प्रतिनिधित्व अमेरिका करता है.' उन्होंने कहा, 'यह स्तब्ध करने वाली बात है कि एक से अधिक बार ऐसा हुआ और हमारा मानना है कि महात्मा गांधी की प्रतिमा का सम्मान होना चाहिए, खासकर यहां अमेरिका की राजधानी में.'
ग्रेटर वॉशिंगटन डीसी, मैरीलैंड और वर्जीनिया के अलावा न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, पेंसिल्वेनिया, इंडियाना, ओहायो और नॉर्थ कैरोलाइना जैसे राज्यों से आए सैंकड़ों सिखों ने शनिवार को वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास तक कार रैली निकाली थी. इसी दौरान भारत विरोधी पोस्टरों और बैनरों के साथ खालिस्तानी झंडे लिए कुछ सिख वहां आए. इनमें से कुछ खालिस्तान समर्थक सिख हाथों में कृपाण लिए महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने आए और उस पर एक पोस्टर चिपका दिया. इस समूह ने भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे.
भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर 'प्रदर्शनकारियों के रूप में गुंडागर्दी करने वाले लोगों के इस दुष्ट कृत्य' की निंदा की. दूतावास ने कहा कि उसने अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष इस संबंध में कड़ा विरोध दर्ज कराया है और अपराधियों के खिलाफ जांच तथा कानून के तहत कार्रवाई के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सामने भी यह मामला उठाया है. महात्मा गांधी की इस प्रतिमा का तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 सितंबर, 2000 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मौजूदगी में अनावरण किया था.
प्रतिमा के अनादर की यह घटना दूसरी बार हुई है. इससे पहले दो और तीन जून की मध्यरात्रि को भी कुछ अज्ञात बदमाशों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनादर किया था, जिसके बाद मिशन ने स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी. यह घटना 25 मई को मिनियापोलिस में अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई थी.
Source : News Nation Bureau